एक और ‘चीता प्रोजेक्ट’ ले रहा आकार
इजरायल के साथ मिल कर भारतीय कंपनियां करेंगी शिकार

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
भोपाल.मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 चीतों को पिंजरे आजाद कर चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत कर दी. (Another ‘Cheetah Project’ Taking Shape) लेकिन देश में एक और ‘चीता प्रोजेक्ट‘ आकार ले रहा है जिसके बारे में अधिकांश लोगों को पता नहीं है. इस चीता प्रोजेक्ट के तहत के तहत भारतीय कंपनियां इजरायल के साथ मिल कर शिकार करने की तैयारी में हैं.
दरअसल केंद्र सरकार देश की रक्षा जरुरतों को पूरा करने के मेक इन इंडिया के तहत देश में कई प्रोजेक्ट चला रही है. उसमें से एक प्रोजेक्ट का नाम चीत रखा गया था. प्रोजेक्ट चीता के तहत स्वदेशी ड्रोन विकसित किए जा रहे हैं जो दुश्मनों का तेजी से शिकार कर सके. यह प्रोजेक्ट 2013 में शुरु किया गया था. केंद्र की मोदी सरकार द्वारा सभी प्रमुख आयात सौदों को या तो रोक दिया गया है या रद्द कर दिया गया है. भारतीय वायु सेना अब मेक इन इंडिया के तहत अपने प्रोजेक्ट चीता को आगे बढ़ाने की योजना बना रही है.
इसके तहत भारतीय रक्षा निर्माता इजरायली हेरॉन ड्रोन को स्ट्राइक क्षमताओं से लैस करेंगे. चीता प्रोजेक्ट के तहत अपग्रेड करने के बाद हेरॉन के जरिए दुश्मन के ठिकाने के बारे में सटीक और खुफिया जानकारी मिल सकेगी.
प्रोजेक्ट चीता के तहत भारतीय वायु सेना अपने मौजूदा इजरायली हेरॉन ड्रोन को बेहतर संचार सुविधाओं और मिसाइलों के साथ अपग्रेड करना चाहती है जो लंबी दूरी से दुश्मन के ठिकानों को निशाना बना सकते हैं. योजना के अनुसार, परियोजना को इजरायली हथियार निर्माताओं के साथ पूरा किया जाना था.
सूत्रों के अनुसार “अब, भारतीय वायुसेना मेक इन इंडिया के तहत रक्षा में भारतीय रक्षा फर्मों को शामिल करके अपने ड्रोन को अपग्रेड करने के लिए आगे बढ़ने की योजना बना रही है.” IAF उस परियोजना में मुख्य नेतृत्व कर रही है जिसके तहत नौसेना और सेना में इजरायली ड्रोन को भी स्ट्राइक क्षमताओं और बेहतर निगरानी के साथ अपग्रेड करने की योजना है.
हथियारों से लैस होंगे हेरॉन ड्रोन
लंबे समय से भारतीय रक्षा बल टोही और जासूसी उद्देश्यों के लिए आईएएफ इजराइली निर्मित सर्चर-II और हेरॉन यूएवी (Heron Drone) पर निर्भर हैं. जासूसी क्षमताओं में अपग्रेड के साथ जमीन पर मौजूद बलों को उन क्षेत्रों में ठिकाने के बारे में सटीक खुफिया जानकारी मिल सकेगी जहां सैनिकों को ऑपरेशन में शामिल किया जाना है. अपग्रेड से ग्राउंड स्टेशन इन विमानों को दूर से संचालित करने और उपग्रह संचार प्रणाली के माध्यम से उन्हें नियंत्रित करने में सक्षम होंगे.




