मां चंद्रघंटा की आज पूजा/ जानिए आचार्य पं अतुल शास्त्री से मां की महिमा
माता पार्वती की रौद्र रूप हैं मां चंद्रघंटा

नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायिनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चन्द्रघंटा की पूजा की जाती है.(Worship of Maa Chandraghanta today) चंद्रघंटा नाम का अर्थ है – चंद्र मतलब चंद्रमा और घंटा मतलब घड़ा के समान. उनके माथे पर चमकते हुए चंद्रमा के कारण ही उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा. इन्हें चंद्रखंडा नाम से भी जाना जाता है. देवी का यह स्वरूप भक्तों को साहस और वीरता का अहसास कराता है और उनके दुःखों को दूर करता है. देवी चंद्रघंटा माता पार्वती की ही रौद्र रूप हैं, लेकिन उनका यह रूप तभी दिखता है जब वे क्रोधित होती हैं, अन्यथा वे बहुत ही शांत स्वभाव की हैं.
माता चंद्रघंटा का स्वरूप
मां चंद्रघंटा शेरनी की सवारी करती हैं और उनका शरीर सोने के समान चमकता है उनकी 10 भुजाएं हैं. उनके बाएं चार भुजाओं में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमण्डलु विभूषित हैं, वहीं पांचवा हाथ वर मुद्रा में है. माता की चार अन्य भुजाओं में कमल, तीर, धनुष और जप माला हैं और पांचवा हाथ अभय मुद्रा में है. माता का अस्त्र-शस्त्र से विभूषित यह रूप युद्ध के समय देखने को मिलता है.
पौराणिक मान्यताएं
जब भगवान शिव ने देवी से कहा कि वे किसी से शादी नहीं करेंगे, तब देवी को यह बात बहुत ही बुरी लगी. देवी की यह हालत ने भगवान को भावनात्मक रूप से बहुत ही चोट पहुंचाया इसके बाद भगवान अपनी बारात लेकर राजा हिमावन के यहां पहुंचे. उनकी बारात में सभी प्रकार के जीव-जंतु, शिवगण, भगवान, अघोरी, भूत आदि शामिल हुए थे.
इस भयंकर बारात को देखकर देवी पार्वती की मां मीना देवी डर के मारे बेहोश हो गईँ. इसके बाद देवी ने परिवार वालों को शांत किया, समझाया-बुझाया और उसके बाद भगवान शिव के सामने चंद्रघंटा रूप में पहुंचीं. उसके बाद उन्होंने शिव को प्यार से समझाया और दुल्हे के रूप में आने की विनती की. शिव देवी की बातों को मान गए और अपने आप को कीमती रत्नों से सुसज्जित किया.
ज्योतिषीय विश्लेषण
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं.
मंत्र
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ज्योतिष सेवा केन्द्र
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री
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