
सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
Maa Kushmandaa मुंबई. कूष्माण्डा माता की पूजा नवरात्रि (Navratri fourth day)के चौथे दिन होती है. कूष्माण्डा संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ- कू मतलब छोटा/सूक्ष्म, ऊष्मा मतलब ऊर्जा और अण्डा मतलब अण्डा है. देवी के कूष्माण्डा रूप की पूजा से भक्तों को धन-वैभव और सुख-शांति मिलती है.
माता कूष्माण्डा का स्वरूप
माँ कूष्माण्डा की 8 भुजाएं हैं जो चक्र, गदा, धनुष, तीर, अमृत कलश, कमण्डलु और कमल धारण करने वाली हैं. माता शेर की सवारी करती हैं.
विवाहित महिला की करें पूजा
इस दिन जहां तक संभव हो बड़े माथे वाली तेजस्वी विवाहित महिला का पूजन करना चाहिए. उन्हें भोजन में दही, हलवा खिलाना श्रेयस्कर है. इसके बाद फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान भेंट करना चाहिए. जिससे माताजी प्रसन्न होती हैं. इससे मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है.
पौराणिकता मान्यताएं
जब चारों ओर अंधेरा फैला हुआ था, कोई ब्रह्माण्ड नहीं था, तब देवी कूष्माण्डा ने मंद-मंद मुस्कुराते हुए सृष्टि की उत्पति की. देवी का यह रूप ऐसा है जो सूर्य के अंदर भी निवास कर सकता है. यह रूप सूर्य के समान चमकने वाला भी है। ब्राह्माण्ड की रचना करने के बाद देवी ने त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) और त्रिदेवी (काली, लक्ष्मी और सरस्वती) को उत्पन्न किया. देवी का यही रूप इस पूरे ब्रह्माण्ड की रचना करने वाला है.
ज्योतिषीय विश्लेषण
कूष्माण्डा माँ सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं. अतः इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है.
मंत्र
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥ ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडा नम: या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण प्रतिष्ठितता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै:न मस्तस्यै नमो नम:..
ज्योतिष सेवा केन्द्र
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री
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