अवैध निर्माण बचाने वाले बीएमसी के तीन दोषी अधिकारियों पर SC ने लगाया था एक-एक लाख रुपए जुर्माना
कार्रवाई के बदले प्रशासन ने दिया प्रमोशन

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
BMC मुंबई. सुप्रीम कोर्ट ने एफ उत्तर विभाग (F North Ward) के अंतर्गत आने वाली एक अवैध इमारत तोड़ने का आदेश दिया था. लेकिन मनपा के तत्कालीन अधिकारियों अधूरी कार्रवाई कर सुप्रीम कोर्ट में झूठी रिपोर्ट पेश की थी. इस मामले में शीर्ष अदालत ने तीन अधिकारियों को दोषी करार देते हुए एक-एक लाख रुपए जुर्माना भरने के साथ बीएमसी आयुक्त को कार्रवाई करने का आदेश दिया था. बीएमसी प्रशासन दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने के बदले उन्हें पुरस्कृत कर दिया. आरटीआई कार्यकर्ता ने बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल को पत्र लिखकर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की है.
आरटीआई कार्यकर्ता कमलाकर शेनॉय ने बताया कि वर्ष 2019 में बीएमसी एफ उत्तर विभाग में वेलभाई वेलजी आरोग्य भवन इमारत जो कि अवैध रूप से बनाई गई थी. भरत ठक्कर ने शिकायत कर तोड़ने की मांग की थी. बीएमसी ने कार्रवाई करने में लापरवाही की,तो ठक्कर कोर्ट चले गए. सुप्रीम कोर्ट ने शिकायत सही पाते हुए अवैध इमारत को तोड़ने का आदेश दिया था.
लेकिन तत्कालीन मनपा उपायुक्त नरेंद्र बर्डे, सहायक मनपा आयुक्त केशव उबाले , सहायक अभियंता मिराई ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए केवल उपर की मंजिल पर तोड़ा और ग्राउंड फ्लोर को हाथ नहीं लगाया. फर्जी दस्तावेज बना कर सुप्रीम कोर्ट को कार्रवाई किए जाने की जानकारी दे दी. बीएमसी की कार्रवाई से असंतुष्ट शिकायत कर्ता बीएमसी अधिकारियों से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कार्रवाई की मांग करते रहे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
शेनॉय ने बताया कि जिन अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी थी बीएमसी प्रशासन उन्हें पुरस्कृत कर उपायुक्त बना दिया. अवैध इमारत को तोड़ने के बदले शीर्ष अदालत के आदेश को दरकिनार कर आंशिक कार्रवाई की गई. इतना ही नहीं, इन अधिकारियों ने अदालत के आदेश की अवहेलना कर अनधिकृत भवन को अभय देने के लिए झूठे दस्तावेज तैयार किए. इस मामले में अदालत ने इन सभी अधिकारियों पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया था.
इस मामले में दोषी तत्कालीन बीएमसी उपायुक्त नरेंद्र बर्डे, सहायक आयुक्त केशव उबाले, और सहायक अभियंता मिराई में से केवल मिराई ने एक लाख रुपए का जुर्माना भरा. नरेंद्र बर्डे को बिना जुर्माना भरे सेवानिवृत्त होने का मौका दिया गया. केशव उबाले को प्रमोशन देकर उपायुक्त बना दिया गया. उबाले ने भी जुर्माना नहीं भरा. शेनॉय ने अब आयुक्त को पत्र लिख कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि यदि कार्रवाई नहीं की गई तो सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर की जाएगी.