शिवसेना के दोनों गुटों को बड़ा झटका/ चुनाव चिन्ह के साथ पार्टी का नाम भी फ्रीज
चुनाव आयोग का बड़ा एक्शन, नाम और चुनाव चिन्ह दोनों के इस्तेमाल पर लगी रोक

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. पिछले कुछ महीनों से शिवसेना के (Big blow to both the factions of Shiv Sena / Party’s name also freezes with election symbol) दोनों गुटों के बीच चल रही लड़ाई पर चुनाव आयोग ने बड़ा एक्शन लिया है. शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह दोनों को फ्रीज कर दिया है. अगले आदेश तक दोनों दल पार्टी का चुनाव चिन्ह धनुष बाण और पार्टी का नाम दोनों को फ्रीज कर दिया है. चुनाव आयोग के इस फैसले से दोनों गुटों को तगड़ा झटका लगा है. बालासाहेब ठाकरे द्वारा खड़ी की गई पार्टी का इस तरह दुखद अंत होगा किसी ने नहीं सोचा था. ऐसा इसलिए कि अब तक चुनाव आयोग की तरफ से फ्रीज किया गया नाम और निशान दुबारा किसी को नहीं मिला है.
अंधेरी पूर्व विधानसभा में उपचुनाव लड़ रही शिवसेना उम्मीदवार भी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह दोनों इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. चुनाव आयोग इस मामले की अब विस्तृत सुनवाई कर अपना फैसला देगा. वर्तमान में दिया गया निर्णय अस्थाई है. आयोग के इस फैसले के बाद दोनों गुटों की आपात बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में अब दोनों को अपनी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह दोनों तय करने होंगे.
शिवसेना में विद्रोह के बाद दोनों समूहों की तरफ से पार्टी पर अपना अधिकार होने का दावा किया गया था. शिंदे गुट ने चुनाव आयोग में शिवसेना पर यह कह कर दावा किया था कि उनके पास विधायकों और सांसदों की संख्या अधिक है इसलिए पार्टी वे शिवसेना पार्टी के असली हकदार हैं. इसके खिलाफ उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट गया था. कोर्ट ने कहा था कि चुनाव चिन्ह पर फैसला चुनाव आयोग ही करेगा.आज चुनाव आयोग ने शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह धनुष बाण दोनों फ्रीज कर लिया. अपने अंतरिम आदेश में आयोग ने कहा है कि अंधेरे पूर्व विधानसभा उपचुनाव में कि दोनों गुटों में से कोई भी चुनाव चिन्ह और नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा.
अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव में शिंदे गुट उम्मीदवार देने के पक्ष में नहीं था. उद्धव गुट ने अपने दिवंगत विधायक रमेश लटके की पत्नी ॠतुजा लटके को उम्मीदवार बनाया है. लेकिन चुनाव चिन्ह फ्रीज होने के बाद चुनाव लड़ने के लिए शिवसेना को नया चुनाव चिन्ह के आयोग में आवेदन देना होगा. चुनाव आयोग के पास मौजूद रिजर्व चुनाव चिन्ह में से ही चुनाव चिन्ह दिया जाएगा. दोनों दलों की तरफ से अब लड़ाई के लिए रणनीति पर मंथन शुरू हो गया है. इससे पहले बाला साहेब ठाकरे पर 6 साल के लिए मतदान करने पर रोक लगी थी लेकिन पार्टी और चुनाव चिन्ह बरकरार था. शिवसेना में की बार बगावत हुई है लेकिन लड़ाई इस स्तर तक नहीं पहुंची थी कि पार्टी का अस्तित्व ही खत्म हो जाए.




