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देवनार डंपिंग ग्राउंड का प्रदूषण कम करेगी मनपा 

बायोरेमेडीएशन पद्धति का होगा इस्तेमाल

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. देवनार डंपिंग ग्राउंड के आस पास रहने वाले (BMC will reduce pollution of Deonar dumping ground) नागरिकों को वर्षों से प्रदूषण के बीच जिंदगी बसर करना पड़ रहा है.  यहां जलाए जाने वाले कूड़े के कारण लोगों को नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. बीएमसी अधिकारियों ने यहां प्रदूषण रोकने के लिए बायोरेमिडेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग करने जा रहे हैं जिससे प्रदूषण भी कम हो जाएगा. बीएमसी डंपिंग ग्राउंड के प्रदूषण को कम करने पर ध्यान दिया है. इसके लिए बायोरेमिडेशन पद्धति का इस्तेमाल किया जाएगा.

देवनार डंपिंग ग्राउंड में कचरे में आग लगने और उससे फैलने वाले प्रदूषण के कारण लोग बीमार हो रहे हैं. यहां फेंके जा रहे हजारों टन कचरे से डंपिंग ग्राउंड फुल हो चुका है. स्थानीय निवासी वर्षों से डंपिंग ग्राउंड बंद करने की मांग कर रहे है. बीएमसी ने यहां फेंके जाने वाले कचरे से बिजली बनाने की परियोजना स्थापित करने की तैयारी की है. हालांकि यह परियोजना अभी मूर्त रुप नहीं ले सकी हैं. इसके बावजूद डंपिंग ग्राउंड की जमीन पर अवैध निर्माण के कारण झोपड़पट्टियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है.
सुरक्षा दीवार का 90 प्रतिशत काम पूरा 
बीएमसी ने रफीक नगर नंबर 1 में  सुरक्षा दीवार बनाने, वॉचटावर  बनाने का ठेका दिया दिया गया.  सुरक्षा  दीवार बनाने का काम दिसंबर 2019 में शुरू हुआ था. सुरक्षा दीवार का  90 प्रतिशत काम पूरा हो गया है. अतिक्रमण को देखते हुए रफीक नगर कब्रिस्तान के बगल में खाड़ी के किनारे की दीवार की लंबाई बढ़ाने का निर्णय लिया गया. इससे करीब 600 मीटर लंबी दीवार का काम बढ़ गया. यह जगह सीआरजेड क्षेत्र में आता है, इसलिए सरकार का अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना जरूरी है.

अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए ठेकेदार ने 15 करोड़ 55 लाख 97 हजार रुपए अतिरिक्त लागत बताया है. बीएमसी ने इसे स्वीकृत भी कर दिया है. इस कारण सुरक्षा दीवार बनाने का काम 43 करोड़ 36 लाख 60 हजार रुपए से बढ़ कर 58 करोड़  92 लाख 58 हजार रुपए पहुंच गया है.

बायो रेमेडिएशन टेक्नोलॉजी से रुकेगा प्रदूषण

देवनार डंपिंग ग्राउंड में आग, दुर्गंध और प्रदूषण को रोकने के लिए बीएमसी यहां बायोरेमेडिएशन टेक्नोलॉजी लगाने जा रही है. एंजाइम आधारित इस प्रणाली को खरीदने की बीएमसी कमिश्नर आईएस चहल ने मंजूरी दे दी है. इससे मानखुर्द , गोवंडी , छेड़ा नगर (घाटकोपर) जैसे इलाकों में रहनेवाले लाखों लोगों को राहत मिलेगी. जो वर्षों से लगातार प्रदूषण और बीमारी फैलने का आरोप लगा रहे थे.

120 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले इस डंपिंग ग्राउंड पर मुंबई के विभिन्न हिस्सों से रोजाना करीब 500 से 700 मीट्रिक टन कचरा फेंका जाता है. देवनार डंपिंग ग्राउंड में कचरे के प्रोसेस के बाद उत्पन्न होने वाली लैंडफिल गैस में मीथेन गैस की अधिकता होती है.

परिणामस्वरूप ज्वलनशील मीथेन और वातावरण में लगातार हो रहे परिवर्तन की वजह से हवा के जरिए पूरे क्षेत्र में पॉकेट फायर फैलता हैं. इससे पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है. इसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए एंजाइम आधारित बायोरेमेडिएशन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है. इसलिए बीएमसी प्रशासन ने इस तकनीक का इस्तेमाल करने का फैसला किया है. इसके लिए 1 करोड़ 88 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे.

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