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अपने सुरक्षा रक्षकों को ठीक से वर्दी, जूते नहीं दे पा रही बीएमसी

आयुक्त को पत्र लिखकर जांच की मांग

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. देश की सबसे समृद्धशाली मुंबई महानगर पालिका  (BMC is unable to provide proper uniform, shoes to its security guards)अपने सुरक्षा रक्षकों को ठीक से वर्दी भी नहीं दे पा रही है. बीएमसी के सुरक्षा गार्ड हमेशा देर से और खराब गुणवत्ता वाली वर्दी प्राप्त करते हैं. इसको लेकर अब सुरक्षा गार्डों में तीव्र नाराजगी दिख रही है. सुरक्षा गार्डों को बीएमसी से हर साल टेरीकोट,खाकी कपड़ा, ऑक्सफ़ोर्ड ब्लैक जूते ,बेल्ट, मोजे, टोपी, साथ ही हर 3 साल में लाठी, रेनकोट, गमबूट और 4 नग बूट पॉलिश बॉक्स हर साल प्राप्त करना होता है. लेकिन ये सामान हर साल प्रदान नहीं किया जाता है.

बीएमसी जो भी सामग्री उपलब्ध कराती है वह खराब गुणवत्ता वाले होते हैं. बीएमसी कामगार सेना के अध्यक्ष बाबा कदम और सचिव रामचंद्र लिंबारे ने एक पत्र के माध्यम से इस मामले को बीएमसी आयुक्त इकबाल सिंह चहल के ध्यान में लाया है. बीएमसी कमिश्नर को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि सुरक्षा विभाग की इस कार्यप्रणाली से सुरक्षा गार्डों में असंतोष फैल गया है.

प्रशासन की तरफ से सुरक्षा गार्डों को देने के लिए दिसंबर 2011 में खरीदे गए खाकी सूती मोजे में से ही उन्हें हर साल दो जोड़ी दिए जाने थे , लेकिन उन्हें 7 से 8 साल से दिए ही नहीं किया गए. बदले में उन्हें इसका भुगतान भी नहीं किया गया है. 2011 में इसे खरीदने के बाद दुबारा खरीदा नहीं गया. सुरक्षा रक्षकों के लिए ऑक्सफोर्ड बूट ब्लैक जनवरी 2018 में खरीदा गया था. उसके बाद से कोई बूट नहीं खरीदा गया और न ही उन्हें उपलब्ध कराए गए.  4 साल पहले खरीदे गए जूते सुरक्षा गार्डों को अब दिए गए हैं. इसलिए उक्त जूते की वर्तमान स्थिति बहुत ही खराब है. हालत ऐसी है कि बूट का उपयोग सुरक्षा गार्ड एक दिन के लिए भी नहीं कर सकता. इसलिए गार्डों को अपने खर्चे पर जूते खरीद कर पहनना पड़ रहा है.

जांच की मांग

प्रशासन ने 2018 में अगले 4 साल के लिए किस आधार पर जूते खरीदे? इसमें उक्त जूते जानबूझकर आर्थिक लाभ के लिए खरीदे गए हैं. इस संबंध में जांच कराकर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग यूनियन ने की है. सुरक्षा गार्डों को हर साल वर्दी के लिए कपड़ा उपलब्ध कराना होता है, लेकिन पिछले 3-4 वर्षों से सुरक्षा गार्डों को कपड़ा नहीं दिया गया है.  वर्दी सिलाने के लिए, सिलाई भत्ता के रूप में केवल रुपए 225 दिया जाता है. मौजूदा सिलाई दरों को देखते हुए, कोई भी 225 रुपए में यूनिफॉर्म की सिलाई कैसे करवा सकते हैं? हैरानी की बात यह है कि जब इसे बदलने की जरूरत है तो संबंधित अधिकारी ऐसा नहीं कर रहे हैं.

इस संबंध में यूनियन के माध्यम से संबंधित लेखा प्रमुखों को बार-बार पत्राचार करने, बैठकों में इस मुद्दे पर चर्चा करने के बावजूद प्रशासन ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है. क्या यह सुरक्षा गार्ड के साथ अन्याय नहीं है? संघ ने भी यह सवाल किया है कि इस सबसे बृहन्मुंबई नगर निगम सुरक्षा बल के सुरक्षा गार्डों में असंतोष पैदा कर दिया है. यह उल्लेख करते हुए कि यदि ड्यूटी के दौरान महिला/पुरुष सुरक्षा गार्डों द्वारा कोई गलती की जाती है, तो सुरक्षा गार्डों पर 5000 रुपए से लेकर 10 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जाता है, सुरक्षा गार्डों को मोज़े न पहनने, जूते न पहनने जैसे कई तुच्छ कारणों से दंडित किया जा रहा है. लेकिन जब ये सामान समय पर नहीं मिलता और चार महीने भी नहीं चलता तो दंडात्मक कार्रवाई करना कितना उचित है. यह पूछकर अनुशासित सुरक्षा बल विभाग में सुरक्षा गार्ड पर सख्त कार्रवाई करने से सुरक्षा बल को मजबूत नहीं किया जा सकता. बल्कि इसके लिए सुरक्षा बल के प्रशासनिक कार्य पर उचित कार्रवाई करना आवश्यक है. बाबा कदम और रामचंद्र लिंबारे ने आयुक्त से अनुरोध किया है कि  इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उचित कार्रवाई करें.

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