एक दिन दो टाइगर पिंजरे से बाहर, दोनों ने दहाडा
दोनों हिंदू नेताओं ने विरोधियों की बजा दी थी बैंड

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. 9 नवंबर का दिन दो नेताओं के लिए कभी न भूलने वाला दिन होगा.(One day two tigers came out of the cage, both roared) दोनों के चाहने वाले उन्हें टाइगर की उपमा देते हैं. जेल में बंद दोनों नेताओं को एक ही दिन जमानत मिली और कोमोवश जेल के बाहर समर्थकों का हूजूम भी एक जैसा था. बुधवार को महाराष्ट्र शिवसेना के वाघ सांसद संजय राउत और तेलंगाना के भाजपा टी राजा दोनों जमानत पर रिहा होकर जेल से बाहर आ गए. इन दोनों नेताओं की वजह से विरोधी परेशान रहते थे.
संजय राउत पर गोरेगांव के पत्रा चाल मामले में मनी लांड्रिंग का आरोप लगाया गया था. ईडी ने संजय राउत को गिरफ्तार किया था. 102 दिन बाद राउत को आर्थर रोड जेल से रिहा कर दिया गया. आर्थर रोड जेल के बाहर शिव सैनिकों की भीड़ जमा हो गई. रंग गुलाल, आतिशबाजी से राउत का स्वागत किया गया. उनकी दिवाली जेल के बाहर मनाई गई.
संजय राउत को महाविकास आघाड़ी सरकार का शिल्पकार माना जाता है. उनके प्रयास से महाराष्ट्र में तीन विरोधी दलों की सरकार बनी जिसकी कमान उद्धव ठाकरे के साथ थी. विरोधिओं की नाक में दम करने वाले राउत अब पिंजरे से बाहर हैं. देखना है कि वे फिर उसी तरह दहाड़ते हैं या जेल की हवा खाने के बाद मुंह बंद रखते हैं.
वहीं हैदराबाद के घोषमहल से भाजपा विधायक टी राजा जिन्हें पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के आरोप में गिरफ्तार किया 9 नवंबर को उन्हें भी जमानत पर रिहा कर दिया गया.
टी राजा को 25 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था. लगभग 75 दिन जेल में थे. टी राजा के जेल के बाहर आने की खबर पर बड़ी संख्या में समर्थक जेल के बाहर पहुंच गए थे. जय श्रीराम के उद्घोष के बीच वे अपने घर पहुंचे. राज ने ट्वीट कर कहा कि मैं एक बार आप लोगों के बीच सेवा के लिए हाजिर हो गया हूं. धर्म की जीत हुई है.
टी राजा की जमानत हाईकोर्ट से हुई है. उन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं. उन्हें किसी तरह की प्रेस कांफ्रेंस,रैली या जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी जाएगी. अगले तीन महीने तक सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट नहीं डाल सकते.
कोर्ट ने संजय राउत की गिरफ्तारी को ही अवैध बता दिया था. जबकि टी राजा कई प्रतिबंधों से घिरे हैं. पैगंबर मोहम्मद पर कथित टिप्पणी के बाद पार्टी ने टी राजा की सदस्यता निलंबित कर दिया था. वहीं संजय राउत के समर्थन में पार्टी ही नहीं पूरी महाविकास आघाड़ी के नेता भी खड़े थे.