राज्य सरकार ने रोका वार्डों के पुनर्गठन का काम
मुंबई मनपा में सीटों में बदलाव पर सुनवाई

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. मुंबई हाईकोर्ट ने आज मुंबई मनपा की सीटों को 236 से कम कर 227 किए जाने को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए मुंबई हाईकोर्ट (Bombay High court) ने राज्य सरकार से पूछा था कि मनपा में सीटों के पुनर्गठन (State government told the High Court that the municipal ward delimitation work has been stopped) का काम तुरंत रोकेंगे क्या. इस पर राज्य सरकार ने वार्डों के पुनर्गठन का काम तुरंत रोकने की जानकारी हाई कोर्ट को दी है.
शिवसेना उद्धव गुट के पूर्व नगरसेवक राजू पेडणेकर की याचिका पर आज सुनवाई हुई. राज्य सरकार के निर्णय का पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बॉम्बे हाईकोर्ट में ले जाने का निर्देश दिया था. अब इस मामले पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा कि आप वार्डों का पुनर्गठन तुरंत रोकेंगे क्या. राज्य सरकार इस पर आज ढ़ाई बजे अपना जवाब दाखिल किया जिसमें वार्डों के परिसीमन की प्रक्रिया तुरंत रोके जाने की जानकारी हाईकोर्ट को दी. इस मामले की अगली सुनवाई अब 20 दिसंबर को होगी.
गौरतलब हो कि राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार ने मुंबई में 9 सीटों को बढ़ा कर मनपा सीटों की संख्या को 227 से 236 कर दिया था. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद वर्तमान सरकार ने पिछली सरकार के फैसले को पलट कर 227 वार्डों पर ही चुनाव कराने का आदेश जारी किया था. उसी के अनुसार मुंबई सहित महाराष्ट्र के 24 महानगर पालिकाओं और आने वाले समय में जिन महानगर पालिकाओं का कार्यकाल खत्म हो रहा है. सभी में 2017 में हुए चुनाव के अनुसार ही चुनाव कराए जाएंगे.
मुंबई में 236 सीटों के अनुसार वार्ड का नए सिरे से सीमांकन किया गया था. जिसका बड़े स्तर पर भाजपा ही नहीं कांग्रेस ने भी विरोध किया था. लेकिन अब सीटों की संख्या में बिना परिवर्तन किए चुनाव कराने के निर्णय से भाजपा और कांग्रेस के पूर्व नगरसेवक सभी खुश हैं. अधिकारी के अनुसार मतदाता सूची तैयार करने के बाद सीटों के आरक्षण की प्रक्रिया फिर से शुरु की जाएगी. इससे पहले सीटों पर निकाले गए आरक्षण भी राज्य सरकार के आदेश के साथ रद्द हो गए थे.
हालांकि यह मामला अभी बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष प्रलंबित है जिस पर 29 नवंबर को सुनवाई होगी. इस मामले में कोर्ट का क्या निर्णय आता है उस पर निर्भर करेगा. शिवसेना ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर गई लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए मामले को सुनवाई से इनकार कर दिया कि आप हाईकोर्ट जाइए. अब हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.