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बीएमसी अस्पतालों के लिए 350 गुना अधिक कीमत पर दवा की खरीद

अधिकारी और ठेकेदारों की सांठ गांठ से बीएमसी को बड़ा नुकसान

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. मुंबई महानगरपालिका ने अपने विभिन्न अस्पतालों के लिए लगभग 350 गुना अधिक कीमत पर दवाओं की खरीद कर रही है. (Purchase of medicine for BMC hospitals at 350 times higher cost) इससे एक वर्ष में बीएमसी को लगभग 100 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है. बीएमसी अधिकारियों और ठेकेदारों की सांठ गांठ से हुए इस महा घोटाले का खुलासा इनसाइट न्यूज स्टोरी ने पिछले महीने किया था. भारतीय जनता पार्टी ने दवा खरीद में हुए भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग की है.
बीएमसी में भाजपा के पूर्व गुट नेता प्रभाकर शिंदे ने कहा कि मास्क और हैंड ग्लव्ज को अधिक कीमत पर खरीदा गया था. अब दवाओं को भी 350 गुना कीमत पर खरीदा जा रहा है. इनसाइट न्यूज स्टोरी की खबर के बाद बीएमसी ने एन 95 मास्क और हैंड ग्लव्ज टेंडर को रद्द कर दिया था. शिंदे ने कहा कि कांट्रेक्टर के अनुसार बीएमसी के टेंडर में कई बार शर्तें लगाई जाती है.
यह ठेकेदारों बीएमसी अधिकारियों की मिलीभगत से होता है. मुंबई महानगरपालिका के नायर, केईएम, सायन, कूपर जैसे बड़े अस्पताल सहित दवाखानों, प्रसूति गृहों में बड़े पैमाने पर दवाओं की खरीद की जाती है. दवाओं की खरीद में ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया जा रहा है.
दवा खरीद में श्रीजी इंटर नेशनल , जे डी हेल्थकेयर  जैसी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने बिना स्पर्धा के दवा खरीदने का निर्णय लिया. बीएमसी ने श्रीजी नेशनल कंपनी से 350 गुना अधिक कीमत पर दवाएं खरीदी जा रही हैं. बीएमसी ने केवल एक ठेकेदार से दवाएं खरीदी.  जबकि निविदा में कई कंपनियां भाग ले सकती थीं. इससे बीएमसी का करोड़ों रुपया बचाया जा सकता था.
    कोरोना काल में बीएमसी जिस प्रकार मनमानी तरीके से दवाओं की खरीद की,वह अब भी जारी है. बीएमसी के शेड्यूल 7 (सीपीडी) के अनुसार 98 करोड़ की दवाओं की खरीद की गई जिसमें से 78 करोड़ रुपए की दवाएं श्रीजी इंटरनेशनल से खरीदी गई. इसी तरह शेड्यूल 9 के तहत 80 करोड़ की दवाओं की खरीद की जानी है, जिसमें से 50 करोड़ की दवाएं श्रीजी इंटरनेशनल से खरीदने की तैयारी की गई है. सीपीडी के शेड्यूल 2 के तहत श्रीजी इंटरनेशनल कंपनी को मनीपॉली उत्पादन के लिए 20 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट दिया गया. इस घोटाले में की लोगों के फंसने की संभावना है.
 सीपीडी में बैठे घोटालेबाज अधिकारी
बीएमसी के सेंट्रल परचेजिंग विभाग में बैठे घोटालेबाज अधिकारियों के कारण बीएमसी को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है. असिस्टेंट डीन वंदना सुशील तांडेल का  प्रमोशन कर असिस्टेंट डीन बना कर केईएम अस्पताल में कर दिया गया है.  ऊंचे पद पर प्रमोशन के बाद भी वे एक पोस्ट नीचे काम कर रही हैं लेकिन केईएम में न जाकर अब भी सीपीडी में ही जमी हुई हैं.

  सीपीडी में जमे अधिकारी 

डॉ.यजुवेंद्र पाटिल जिन्हें कोरोना के समय एम टी अग्रवाल अस्पताल मुलुंड से सीपीडी विभाग में लाया गया था. उनका 13 अक्टूबर 2022 को सीपीडी से एम टी अग्रवाल में भेजने का आदेश निकला गया था. यजुर्वेद को मूल विभाग में जाने के लिए बीएमसी ने 9 नवंबर 2022 को रिमाइंडर लेटर भी भेजा उसके बाद भी वे सीपीडी से बाहर नहीं जाना चाहते. जबकि बीएमसी अस्पतालों में डॉक्टर की जरुरत अधिक है.

फार्मासिस्ट के पद भी डॉक्टर

बीएमसी सेंट्रल परचेजिंग डिपार्टमेंट (सीपीडी) में फार्मासिस्ट के पद पर डॉ सचिन दत्तात्रेय जगताप को बैठाया गया है. फार्मासिस्ट के पद पर एक डॉक्टर के काम करने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. यह घोटाला सीपीड के ज्वाइंट कमिश्नर विजय बालमवार के सानिध्य में हो रहा है.

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