मुंबई

उत्तर भारतीय मतदाताओं में बीजेपी की मजबूत पकड़

एक और उत्तर भारतीय नेता को भेजा विधान परिषद

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. मुंबई महानगर पालिका के 2017 में हुए चुनाव में बीजेपी ने 82 सीटें जीतकर मुंबई की राजनीति में तहलका मचा दिया था. पिछले 25 वर्षों से शिवसेना के साथ गठबंधन के सहारे बीजेपी मनपा की सत्ता पर काबिज रही. लेकिन शिवसेना अपने सहयोगी दल के साथ हमेशा दोयम दर्जे का वर्ताव करती रही. इतने वर्षों में कभी उसे महापौर या स्थायी समिति अध्यक्ष का पद नहीं मिला.  चुनाव में ज्यादा सीट जीतने की संभावनाओं के बाद भी गठबंधन धर्म निभाते हुए कम सीटों चुनाव लड़ने के समझौते से संतोष करना पड़ता था. पहली बार शिवसेना की तरफ से खींची गई लक्ष्मणरेखा को पार कर भाजपा ने शिवसेना ही नहीं कांग्रेस को भी एहसास कर दिया कि अब बीएमसी की सत्ता की बादशाहत उसके पास ही आने वाली है.

बीजेपी ने यह कारनामा मराठी, उत्तर भारतीय, गुजराती और राजस्थानी वोटों को साधकर अपनी झोली में 82 सीटें डाली थी.  बीजेपी के नेता चाहते तो मनपा में जोड़ तोड़ कर अपना महापौर बना सकते थे.  बीजेपी के वरिष्ठ नेता के अनुसार महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के 6 नगरसेवक जो आज शिवसेना के सदस्य हैं वे भाजपा में शामिल होने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से संपर्क किए थे लेकिन उन्होंने सभी को शिवसेना के पास भेज दिया था. बीजेपी शिवसेना के साथ मजबूती से बनी रहना चाहती थी.

राज्य में अलग अलग चुनाव लड़ने के बाद परिस्थितियों में भी बदलाव आया. सत्ता हासिल करने के लिए बने नये राजनीतिक समीकरण के आगे वह बेबस हो गई थी. मनपा की सत्ता भी नहीं मिली और राज्य की कुर्सी भी चली गई.

मनपा चुनाव के कुछ ही महीने बचे हैं. पिछले चुनाव की भांति इस बार भी उत्तर भारतीय मतदाताओं पर भाजपा का भरोसा कायम है. पहले एक उत्तर भारतीय नेता आर एन सिंह को विधान परिषद में भेजा था. अब जनता में मजबूत पैठ वाले  एक और उत्तर भारतीय नेता राजहंस सिंह को विधान परिषद का उम्मीदवार बना कर उत्तर भारतीय वोटों की दावेदारी पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. राजहंस सिंह कई दशकों से मुंबई की राजनीति की नब्ज टटोलते रहे हैं. सभी दलों के नेताओं से उनके अच्छे संबंध भी रहे हैं. अपनी बात भी प्रखरता से रखते हैं. वे कुशल वक्ता तो हैं ही, उत्तर भारतीय समाज के लिए हमेशा आवाज उठाते रहे हैं. 8 साल मनपा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं. एक बार विधायक भी रह चुके हैं. 6 साल से बीजेपी की नीतियों को जन जन तक पहुंचाने में लगे हैं. पार्टी ने भी विधान परिषद का टिकट देकर धैर्य और मेहनत की कद्र कर सही उपयोग किया है. इसका फायदा बीएमसी चुनाव में मिल सकता है.

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