मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra Resident Doctors Strike) भर में आज सुबह से हड़ताल पर गए 7000 रेसिडेंट डॉक्टरों के कारण अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों का बुरा हाल रहा. सुबह ओपीडी बंद रहने के कारण मरीजों को वापस जाना पड़ा. अस्पताल प्रशासन ने बताया कि ओपीडी में डॉक्टर उपलब्ध नहीं होने केस पेपर भी नहीं दिया गया. डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर सुबह से ही प्रदर्शन कर रहे हैं.
इमरजेंसी का भी बुरा हाल
देर से आए सीनियर डॉक्टर इमरजेंसी सेवाएं संभाल रहे हैं लेकिन लेकिन सहायक डॉक्टरों के नहीं होने से उनके लिए भी मुश्किल हो रही है. बीएमसी के केईएम अस्पताल में डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं. लोकमान्य तिलक अस्पताल के 450 रेसिडेंट डॉक्टर्स गेट पर प्रदर्शन कर रहे हैं. गेट पर प्रदर्शन के कारण इमरजेंसी मरीजों को भीतर नहीं जाने दिया जा रहा है.
डॉक्टरों की मूलभूत समस्याओं की अनदेखी
Maharashtra Association of Resident Doctors (मार्ड) के अनुसार कई बार महाराष्ट्र सरकार एवं मुंबई महानगरपालिका के समक्ष अपनी मांगे उठाते रहे हैं. लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया. रेजिडेंट डॉक्टरों की मांग में लंबित महंगाई भत्ता और उसका तत्काल भुगतान शामिल हैं. नायर हॉस्पिटल रेजिडेंट डॉक्टर का 8 महीने का कोविड पीरियड एरियर और केईएम और कूपर अस्पताल का दो माह का बकाया तत्काल भुगतान किया जाए. लेकिन सरकार ने डॉक्टरों की इन मूलभूत समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया है.
रेजिडेंट डॉक्टरों की समस्या सिर्फ वेतन और महंगाई भत्ते तक ही सीमित नहीं है, बल्कि प्रदेश भर में रेजिडेंट डॉक्टरों को मिलने वाली सुविधाओं और सुविधाओं में भारी असमानता और समस्याएं हैं. सभी बीएमसी
अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए पर्याप्त छात्रावास की सुविधा नहीं है. अतिरिक्त 1432 वरिष्ठ रेजिडेंट पदों के प्रावधान वाली फाइल महाराष्ट्र सरकार ने अटका रखी है.
संबंध में मार्ड के पदाधिकारी डॉ. प्रवीण ढगे बताया कि “मेडिकल टीचिंग स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों को भरने, महाराष्ट्र में सभी वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए समान वेतन की हमारी मांग को महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग के निदेशक तत्काल नहीं स्वीकार करते हैं तो हमें ओपीडी बंद करने का फैसला करना होगा. इसके अलावा हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है.