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उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे में होगी बातचीत

भाजपा नेताओं ने खोली मध्यस्थता की राह

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. महाराष्ट्र की राजनीति में पल पल बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम क्रम में जल्द ही नया मोड़ आने वाला है. बगावत के बाद पहली बार उद्धव ठाकरे( Uddhav Thackeray) और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे Eknath shinde Will hold taks) में बातचीत का दौर शुरू हो सकता है. शिवसेना के इन दोनों धड़ों को मिलाने के लिए एक भाजपा नेता ने दिल्ली में बैठ कर मध्यस्थता का मार्ग निकाला है. बताया जाता है कि भाजपा का यह नेता देवेंद्र फडणवीस नहीं बल्कि कोई और है जो राज्य में हासिये पर ढ़केल दिया गया है.

शिवसेना की नेता दीपाली सैयद कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी उस मुलाकात के बाद आज उन्होंने ट्वीट किया जिससे लगता है कि आने वाले दिनों में राज्य का राजनीतिक घटनाक्रम एक बार फिर बदल सकता है.दीपाली सैयद ने अपने ट्वीट में कहा, ‘यह सुनकर बहुत अच्छा लगा है कि अगले दो दिनों में आदरणीय उद्धव साहब और आदरणीय शिंदे साहब शिवसैनिकों की भावनाओं पर चर्चा करने के लिए पहली बार मिल कर बातचीत करेंगे साफ है कि शिंदे साहब शिवसैनिकों की तड़प को समझते थे और उद्धव साहब ने परिवार के मुखिया की भूमिका बड़े दिल से निभाई थी. इसमें मध्यस्थता में मदद करने के लिए भाजपा नेताओं को धन्यवाद. उस मिटिंग वाले हॉट स्पॉट का इंतज़ार रहेगा.

दीपाली सैयद के इस ट्वीट के बाद कई चर्चाएं शुरू हो गई हैं. क्या शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे बीजेपी के साथ जाने को तैयार होंगे? दीपाली सैयद ने उल्लेख किया है कि भाजपा नेताओं ने भी दोनों धड़ों के बीच बैठक की व्यवस्था करने में मदद की है.

एक दिन पहले दीपाली सैयद ने एक और ट्वीट किया था. इसमें उन्होंने कहा था कि ‘माननीय आदित्य साहब जल्द ही कैबिनेट में आएं. मातोश्री पर शिवसेना के 50 विधायक पेश हों  आदरणीय उद्धव साहब और आदरणीय शिंदे साहब एक हो जाएं. शिवसेना कोई गुट नहीं हिंदुत्व का गढ़ है. उस पर हमेशा भगवा लहराता रहेगा.

दीपाली सैयद ने अपना ट्वीट चार लोगों को टैग किया है. वे नाम हैं आदित्य ठाकरे, एकनाथ शिंदे, विनोद तावड़े और पंकजा मुंडे . तो क्या महाराष्ट्र भाजपा के बड़े नेता जो दिल्ली में बैठे हैं विनोद तावड़े ने शिवसेना को एक करने में मदद की है. तावड़े और पंकजा मुंडे दोनों इस समय महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा के हासिये पर हैं. दिल्ली में बैठे विनोद तावड़े भाजपा के केंद्रीय नेताओं के क़रीब बन चुके हैं. उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति का पूरा ज्ञान है. राज्य की राजनीति में हासिये पर फेंक दिए गए दोनों नेताओं के कारण ही देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनने से चूक गए. अब यह भी सवाल हवा में उछाले जा रहे हैं कि भाजपा नेतृत्व क्या केवल उद्धव को यह दिखाना चाहते थे कि वे ही बड़े भाई हैं. बहरहाल शिंदे और ठाकरे एक होंगे? इसके लिए बैठक का सभी को इंतजार रहेगा.

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