महाराष्ट्र में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल/ उपमुख्यमंत्री ने बुलाई अर्जेट बैठक
निजीकरण के विरोध में एक लाख कर्मचारी कर रहे आंदोलन

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में राज्य के एक लाख कर्मचारी मंगलवार से तीन दिवसीय हड़ताल (Straike) कर रहे हैं. (Strike of electricity employees in Maharashtra) महाराष्ट्र राज्य कर्मचारी, अधिकारी और अभियान संघर्ष समिती की कृती समिती के तत्वावधान आंदोलन चल रहा है. राज्य में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को देखते हुए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अर्जेंट बैठक बुलाई है जिसमें समाधान निकालने की कोशिश की जाएगी. (Deputy Chief Minister called an urgent meeting)
आंदोलन में 30 से अधिक यूनियनों आई एक साथ
महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव कृष्णा भोईर ने कहा कि सरकार के स्वामित्व वाली बिजली कंपनियों में निजीकरण के प्रयासों को विफल करने के लिए ड्राइवरों, वायरमैन, इंजीनियरों और अन्य कर्मचारियों की 30 से अधिक यूनियनें एक साथ आई हैं. , महाराष्ट्र राज्य
इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (महापारेषण) और महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन कंपनी लिमिटेड (महानिर्मिती) राज्य के स्वामित्व वाली बिजली कंपनियां हैं. इन कंपनियों के कर्मचारी पिछले दो से तीन सप्ताह से हड़ताल पर रहते हुए सोमवार को 15,000 कर्मचारियों ने ठाणे में विरोध प्रदर्शन किया. भोईर ने कहा, “तीनों बिजली कंपनियों में लगभग 86,000 कर्मचारी, अधिकारी और इंजीनियर, 42,000 ठेका कर्मचारी हैं.
निजीकरण के विरोध में कर्मचारी और सुरक्षा गार्ड आज से 72 घंटे की हड़ताल पर हैं. उन्होंने कहा कि आंदोलन कर रहे कर्मचारियों की मुख्य मांग मुंबई उपनगर, ठाणे और नवी मुंबई के भांडुप में लाभ कमाने के लिए अडानी समूह ज्यादा विस्तार करने के लिए लाइसेंस की मांग की है.
नवी मुंबई से लेकर उरण तक मांगा लाइसेंस
पिछले साल नवंबर में अडानी समूह की कंपनी ने मुंबई में और अधिक क्षेत्रों में अपने बिजली वितरण कारोबार का विस्तार करने के लिए लाइसेंस मांगा था. अडानी ट्रांसमिशन की सहायक कंपनी अदानी इलेक्ट्रिसिटी नवी मुंबई लिमिटेड, महावितरण के तहत भांडुप, मुलुंड, ठाणे, नवी मुंबई, पनवेल, तलोजा और उरण में बिजली वितरण के समानांतर लाइसेंस के लिए महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग को आवेदन किया है.
तो 18 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल
भोईर ने कहा कि इस आंदोलन में कोई वित्तीय मांग नहीं है, लेकिन हम चाहते हैं कि राज्य के लोगों के स्वामित्व वाली ये बिजली कंपनियां जीवित रहें. उन्हें निजी पूंजीपतियों को नहीं बेचा जाना चाहिए, जो केवल लाभ कमाना चाहते हैं. पिछले महीने राज्य सरकार को दिए गए हड़ताल के नोटिस में मांगें पूरी नहीं होने पर 18 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी भी दी है.
बिजली कंपनियों की हड़ताल पर राज्य सरकार ने ‘मेस्मा’ के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी है. हड़ताल तुरंत वापस लेने के लिए कहा है. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बिजली हड़ताल पर समाधान निकालने के लिए एक बजे सह्याद्री गेस्ट हाउस में आपात बैठक बुलाई है.