म्हाडा अधिकारी को फर्जी केस में फंसाने का मामला, सीआईडी के पास ट्रांसफर हुआ केस
म्हाडा में 150 करोड़ रुपए का भूखंड घोटाला

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. म्हाडा (Mhada) भूखंड में 150 करोड़ रुपए का घोटाला करने और म्हाडा के उप समाज विकास अधिकारी युवराज सावंत ( Yuvraj Sawant) को फर्जी केस में जेल भेजने वाले पुलिस अधिकारियों (police officer) की जांच की जिम्मेदारी अब राज्य सीआईडी (State CID) विभाग को सौंपी गई है. मुंबई पुलिस के भ्रष्ट अधिकारियों को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी सीआईडी विभाग को करनी है क्योंकि खार पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज होने के बाद भी मुंबई पुलिस अपने अधिकारियों को गिरफ्तार करने में नाकाम रही है. (MHADA officer implicated in fake case, case transferred to CID)
मुंबई पुलिस के पीआई पद पर रहते हुए अनिल जैतापकर ने तिलक नगर स्थित महालक्ष्मी सहकारी गृहनिर्माण बना कर म्हाडा को मिलने वाले फ्लैट को बेच कर 150 करोड़ रुपए का घोटाला किया था. इंस्पेक्टर अनिल जैतापकर और मेसर्स. बायोबिल्ड डेवलपर के घोटाले का खुलासा करने वाले युवराज सावंत को ही खार पुलिस ने फर्जी केस में गिरफ्तार किया था. लंबी लडाई के बाद भी सावंत को न्याय नहीं मिल रहा है.
मामले की जांच के बाद खार पुलिस ने तत्कालीन पूर्व पुलिस निरीक्षक अनिल जैतापकर ( रिटायर्ड), तत्कालीन खार के सहायक पुलिस निरीक्षक किशोर पवार, वर्तमान में आर्थिक अपराध शाखा में इंस्पेक्टर, खार के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संजय मोरे ( रिटायर्ड) उनके सहयोगी संदेश वाईरकर, योगेश अहिर, केतन पवार, राकेश पवार के खिलाफ आइपीसी की धारा 182, 192,196, 211,120बी, एससी एसटी एक्ट की धारा 3 (1) (h), 3(1) (i), 3(1)(q), 3(2) (2), 3(2)(7) के तहत एफआईआर दर्ज किया था. यह आरोपी अग्रिम जमानत पर हैं.
युवराज संदीपान सावंत ने “इनसाइट न्यूज स्टोरी” को बताया कि इन लोगों ने सरकारी हिस्से के फ्लैट की बिक्री कर 150 करोड़ रुपए का लाभ कमाया. अनिल जैतापकर के पास मुंबई में घर रहते हुए झूठा शपथपत्र देकर महालक्ष्मी गृहनिर्माण संस्था में 3 करोड़ रुपए का फ्लैट लिया. साथ ही अन्य फ्लैट को अपने कब्जे में लेने के अलावा अवैध रुप से व्यायाम शाला शुरु कर करोड़ों रुपए का लाभ प्राप्त किया. इस घोटाले की शिकायत करने वाले म्हाडा अधिकारी को फर्जी केस में फंसा कर कैरियर बरबाद करने का प्रयास किया. इस संदर्भ में एफआईआर में जिन पुलिस अधिकारियों के नाम हैं, उनसे संपर्क स्थापित करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.
मुंबई पुलिस द्वारा इन अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करने से परेशान युवराज सावंत ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस और महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा था. जिसके बाद यह केस राज्य सीआईडी को ट्रांसफर कर दिया गया है. सावंत ने बताया कि अब आरोपियों पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी सीआईडी पर डाली गई है .




