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मैरियन बायोटेक के तीन अधिकारी गिरफ्तार, विषाक्त सिरप मामले में हुई गिरफ्तारी
मालिक दंपति अब भी फरार

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
दिल्ली. गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में विषाक्त कफ सिरप पीने हुई बच्चों की मौत पर केंद्र सरकार ने कड़ा एक्शन लिया है. (Three Arrested in Syrup Case) इस मामले में शुक्रवार को मैरियन बायोटेक (Marion Biotech) के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है. (Three officers of Marion Biotech arrested, arrested in toxic syrup case)
नोएडा के ड्रग इंस्पेक्टर वैभव बब्बर ने कहा कि गिरफ्तार किए गए तीन अधिकारी प्लांट के प्रमुख, मैन्युफैक्चरिंग केमिस्ट और परीक्षण तथा गुणवत्ता नियंत्रण के लिए जिम्मेदार व्यक्ति हैं. गौरतलब हो कि गाम्बिया में भी सिरप पीने से 66 बच्चों बच्चों की मौत हुई थी. जबकि आरोप है कि उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत हुई थी. इन बच्चों की मौत की पुष्टि के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उत्पाद चेतावनी जारी की थी. जिसके बाद केंद्र सरकार ने सख्त कार्रवाई के लिए राज्यों को निर्देश जारी किया था.
नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक के मालिकों सचिन जैन और जया जैन को भी नोएडा के एक पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में नामजद किया गया है. बब्बर ने कहा, ‘हालांकि अभी एफआईआर में नामित मालिकों को गिरफ्तार नहीं किया गया है क्योंकि वे बाहर हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर ड्रग्स अथॉरिटी ने मैरियन बायोटेक के प्लांट से जमा किए गए नमूनों में 22 में विषाक्त रसायन डायएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) की पुष्टि हुई है, जहां उक्त दवाएं एम्ब्रोनॉल कफ सीरप और डॉक्स-1 मैक्स सीरप निर्मित की गई थीं. हालांकि उन्होंने एकत्र किए गए नमूनों में उक्त रसायन कितनी मात्रा में पाया गया था यह नहीं बताया.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 11 जनवरी को इन दोनों दवाओं को मौतों से जोड़कर दुनिया भर में चेतावनी जारी किया था. चेतावनी (उत्पाद अलर्ट) में कहा गया था कि दोनों कफ सीरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) अस्वीकार्य स्तर पर पाए गए हैं.डायएथिलीन ग्लाइकॉल एक औद्योगिक रसायन है, जो अत्यधिक विषाक्त होता है और दवाओं में उपयोग के लिए प्रतिबंधित है. दवा निर्माण में प्रोपलीन ग्लाइकॉल (पीजी) को (घुलानेवाला/Solvent) के रूप में इस्तेमाल किया जाना होता है.
विदेशों में निर्यात होने वाली दवाओं में महाराष्ट्र सरकार के एफडीए (FDA) ने भी एक दिन पहले 6 सिरप निर्माता कंपनियों के लाइसेंस निरस्त किए थे. महाराष्ट्र एफडीए की जांच में बताया गया कि 200 उत्पाद कंपनियों ने 2000 दवाओं को बना गुणवत्ता जांच के निर्यात किया था. महाराष्ट्र सरकार राज्य की 84 दवा उत्पादक कंपनियों की जांच कर रही है.