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महारेरा का बड़ा फैसला, पांच वर्ष की सभी प्रोजेक्टस की होगी समीक्षा

बिल्डरों की टेंशन बढ़ाने वाली खबर

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. महारेरा  ( Maharera’s big decision, all projects will be reviewed for five years) ने पिछले पांच वर्षों में रजिस्टर्ड किए गए प्रोजेक्टस की समीक्षा करने का निर्णय लिया है. महारेरा के इस निर्णय से बिल्डरों की टेंशन बढ़ सकती है.

महारेरा की निगरानी प्रणाली को सक्षम करने के हिस्से के रूप में, महारेरा की स्थापना के बाद 2017 से पंजीकृत परियोजनाओं की समीक्षा शुरू कर दी है. रेरा अधिनियम की धारा 11 के अनुसार महारेरा में किसी भी आवास परियोजना का पंजीकरण कराने के बाद परियोजना प्रमोटर को पंजीकरण के समय दी गई जानकारी का अध्ययन महारेरा की वेबसाइट पर हर 3 महीने में करना होता है. ग्राहक के लिए समय-समय पर परियोजना की स्थिति जानना आवश्यक है.

कारण बताओ नोटिस भेज रहा महारेरा 

प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिकांश परियोजनाओं ने पंजीकरण के बाद से महारेरा में जानकारी दर्ज नहीं की है. इसलिए, महारेरा ने  ऐसी सभी परियोजनाओं को कारण बताओ नोटिस भेजना शुरू कर दिया है. कुल करीब 18 हजार परियोजनाओं में से 2 हजार परियोजनाओं को ऐसे नोटिस भेजे जा चुके हैं और सभी को एक महीने के भीतर नोटिस भेज दिया जाएगा.

कुल प्रोजेक्ट कास्ट का लगेगा 30 प्रतिशत जुर्माना 

   महारेरा अधिकारी ने बताया कि पंजीकरण के दौरान इन परियोजनाओं द्वारा प्रदान किए गए पंजीकृत ई-मेल पते पर नोटिस भेजा जा रहा है. इन सभी प्रमोटरों को कमियों को दूर करने के लिए नोटिस की तारीख से 30 दिनों का समय दिया गया है. फिर भी, जिन लोगों को प्रतिक्रिया, त्रुटियों का सुधार प्राप्त नहीं होता है, वे महारेरा द्वारा दंडात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होंगे. साथ ही, प्रमोटरों को अपनी राशि के 30% से जुर्माना भरना होगा.

प्रोजेक्ट का 70 प्रतिशत राशि खाते रखना आवश्यक 

    रेरा अधिनियम के अनुसार, प्रमोटर को रेरा पंजीकरण संख्या के अनुसार एक अलग खाता खोलकर ग्राहकों से प्राप्त धन का 70 प्रतिशत रखना आवश्यक है. निर्माण के प्रत्येक चरण में यह पैसा निकालते समय क्रमशः प्रोजेक्ट इंजीनियर, आर्किटेक्ट और चार्टर्ड अकाउंटेंट से प्रोजेक्ट पूरा होने का प्रतिशत, गुणवत्ता, अप्राप्त लागत का प्रमाण पत्र बैंक को जमा करना होगा. प्रोजेक्ट में कितने फ्लैट व प्लॉट बिके इसकी त्रैमासिक सूची वेबसाइट पर डालना अनिवार्य है.

हर 6 महीने में प्रोजेक्ट एकाउंट का ऑडिट अनिवार्य 

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हर छह महीने में परियोजना खाते का ऑडिट करना अनिवार्य है और प्रत्येक वर्ष की समाप्ति के छह महीने बाद एक वैधानिक ऑडिट जमा करना अनिवार्य है, जिसमें यह प्रमाणित किया गया हो कि इस खाते से निकाली गई राशि परियोजना के पूरा होने के अनुपात में निकाली गई है ,और परियोजना पर ही खर्च की गई है.

एक बार मिलेगी रियायत 

 इन सभी प्रमोटरों को 2017-18 से 2021-22 तक पांच साल की अवधि के लिए जानकारी जमा करनी होगी. यह मानते हुए कि अंतरिम कोविड संकट के कारण इस सूचना को अद्यतन करने में रुकावट आ सकती है, प्रत्येक वर्ष के अंत में 5 वर्ष की जानकारी एक ही रूप में प्रदान करने के लिए एक बार रियायत दी गई है. जो उन्हें एक महीने के भीतर करने की उम्मीद है, लेकिन वर्ष 2022-23 के लिए केवल त्रैमासिक प्रपत्र की आवश्यकता है.

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