अंधेरी पूर्व उपचुनाव/हर हाल में चाहिए जीत/भाजपा ने झोंकी पूरी ताकत
पूर्व नगरसेवक संभाल रहे बूथ विधायक के जिम्मे वार्ड
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को हर हाल में जीत चाहिए.(Andheri East by-elections win in any case BJP threw full force) यह चुनाव भाजपा के लिए अब नाक का सवाल बन गया है. बड़ी बात यह कि शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे, कांग्रेस, राष्ट्रवादी, कम्युनिस्ट पार्टियां, वंचित बहुजन, समाजवादी पार्टी सभी एक बैनर के नीचे SSUBT की उम्मीदवार ॠतुजा लटके को समर्थन दे रहे हैं. भाजपा और बालासाहेब की शिवसेना (शिंदे) एक साथ हैं. मनसे भी इनको समर्थन दे सकता है, हालांकि अभी अधिकृत तौर पर इसकी घोषणा नहीं हुई है. इन पार्टियों के समर्थित उम्मीदवार की यदि हार होती है. जीतने वाली पार्टी का मनोबल आने वाले चुनाव में सातवें आसमान पर होगा. यह जीत भाजपा के लिए इतना महत्वपूर्ण है कि विधानसभा क्षेत्र में आने वाले 10 वार्डों में से हर एक वार्ड की जिम्मेदारी एक -एक विधायक को सौंप दी गई है. साधारण कार्यकर्ता की जगह पूर्व नगरसेवकों को बूथ की जिम्मेदारी दी गई है. इससे पता चलता है कि भाजपा जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. विधायक अतुल भातखलकर, विधान परिषद गुटनेता प्रवीण दरेकर, प्रतोद प्रसाद लाड, विधायक योगेश सागर, मनिषा चौधरी, पराग अलवणी, अमित साटम, कॅप्टन तमिल सेलवन को जिम्मेदारी दी गई है.
पार्टियों के अकेले लड़ने पर भाजपा बीस थी. लेकिन महाविकास आघाड़ी के दलों के एक साथ लड़ने पर आंकड़ों के अनुसार वह भारी दिख रही है. इस विधानसभा क्षेत्र में 10 वार्ड आते हैं. 2017 में हुए चुनाव में भाजपा को सबसे अधिक सीटें मिली थीं. इन 10 वार्डों में भाजपा के वोटों की संख्या 81051 थी. शिवसेना को 78,186 वोट मिले थे. कांग्रेस को मिले कुल वोटों की संख्या 35,575 थी. कुल मिलाकर 2017 मनपा चुनाव में मिले वोटों को देखें तो महाविकास आघाड़ी के वोट 1 लाख 10 हजार के करीब होते हैं. उनके संयुक्त वोट के सामने भाजपा कहीं नहीं ठहरती है. लेकिन महाविकास आघाड़ी के नेता यह जानते हैं कि यह भाजपा है. साम दाम दण्ड भेद अपना कर जीत हासिल करने में उसे महारत हासिल है.
उपचुनाव में कुल 14 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं. यह प्रत्याशी सभी धर्मों और जातियों से हैं. इनमें भी किसी ने अपने काम और पहचान के बल पर दोनों पार्टी के उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ सकते हैं.भाजपा उम्मीदवार की जीत में शिंदे गुट कितना और सहयोग दे सकता है उसका पता नहीं है. शिंदे गुट के पास यहां कार्यकर्ता भी नहीं हैं. ॠतुजा लटके पर आखिरी दांव खेला था वह भी फेल हो गया. इसलिए यह सीट भाजपा को देनी पड़ी.
ॠतुजा लटके को सहानुभूति वोट मिलने की संभावना है जिसकी काट पैसों से होने वाली है. मंडलों, जाति आधारित पॉकेट वोट, पर भी दोनों पार्टियों की नजर है. बड़ा फैक्टर मराठी वोट ही हैं. यहां पर 1 लाख 8 हजार के करीब मराठी वोट हैं. 56 हजार उत्तर भारतीय, 35 हजार गुजराती, 13 हजार दक्षिण भारतीय, 14 हजार क्रिश्चियन, 38 हजार मुस्लिम मतदाता में से जो सभी वर्गों का वोट हासिल करेगा,वही यह चुनाव जीत सकता है. क्रिश्चियन और मुस्लिम कांग्रेस के वोट बैंक रहे हैं. वे SSUBT अथवा BJP में से किसे वोट करेंगे इस पर भी सबकी नजर रहेगी. उम्मीदवार जीता तो अपना पत्ता कट, हारा तो अगली बार हमारी दावेदारी पक्की यह फैक्टर भी काम करने वाला, वोटों की खरीद फरोख्त होने की भी संभावना है. नाक की इस लड़ाई में जो जीता वही सिकंदर कहलाएगा.