आईएमडी संभाजी नगर में लगाएगा सी बैंड डॉपलर रडार
आईएमडी कोलाबा में मनाया गया विश्व मौसम विज्ञान दिवस

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
world meteorological day 2023. मुंबई आईएमडी इस वर्ष के अंत तक संभाजी नगर में सी बैंड डॉपलर रडार लगाने का निर्णय लिया है. मुंबई आईएमडी के उप महानिदेशक सुनील कांबले ने बताया कि नया डॉपलर रडार लगाने से ग्रामीण इलाकों में मौसम की सटीक उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी. हालांकि यह अभी प्रस्ताव है. विश्व मौसम विज्ञान दिवस पर मुंबई के कोलाबा में आईएमडी आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर उप महानिदेशक ने यह जानकारी दी. (IMD will install New C band Doppler radar in Sambhaji Nagar)
जानकारी देने लगाई गई थी प्रदर्शनी
विश्व मौसम विज्ञान दिवस के अवसर पर आईएमडई कोलाबा में करीब एक हजार स्कूली बच्चों ने मौसम विभाग की कार्यप्रणाली की जानकारी प्राप्त की. मौसम विज्ञानी सुषमा नायर ने बताया कि मौसम विभाग की जानकारी हासिल करने के लिए स्कूली बच्चों के अलावा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया. नेवी के अधिकारी सहित कई संस्थाओं के अधिकारी कर्मचारी प्रदर्शनी में पहुंचे थे.

महाराष्ट्र में लगे हैं तीन टाइप के रडार
मौसम विज्ञानी राजशेखर ने बताया कि वर्तमान में देश भर में तीन प्रकार के रडार कार्यरत हैं. सी बैंड रडार, एस बैंड रडार और एक्स बैंड रडार अलग अलग इलाकों में लगाए गए हैं. सी बैंड रडार का रेंज 200 किमी है. एस बैंड का रेंज 500 किमी है लेकिन इसकी उपयोगी क्षमता 250 किमी की है. जबकि एक्स बैंड रडार की रेंज 100 किमी है. यह रडार 360 डिग्री वॉल्यूम स्कैनिंग करते हैं. इसमें सबसे पावरफुल रडार एस बैंड है. रडार से ही आसमान में बादलों के इंटेसिटी मिलती है. क्योंकि इससे 3 डायमेंशन व्यू मिलता है. सभी रडार डॉपलर रडार हैं. इससे हवा की विंड स्पीड और डायरेक्शन ज्ञात होता है.

डॉपलर रडार ऐसे करते हैं काम
अधिकारी ने बताया कि एक्स बैंड की फ्रीक्वेंसी 2 से 4 गीगा हर्ट,सी बैंड रडार की 4 से 6 गीगा हर्ट और एस बैंड रडार की 8 से 12 गीगा हार्ट पर उपलब्ध होती है. एक्स बैंड रडार से थंडर स्ट्रॉम की जानकारी हासिल होती है. इस रडार में कम पावर, न्यूनतम लागत और कम मेंटेनेंस की आवश्यकता होती है. एस बैंड रडार की साइज 9 मीटर रहती है. इसलिए इसमें मेंटेनेंस और खर्च भी अधिक लगती है. हालांकि एस बैंड रडार से साइक्लोन आदि की जानकारी प्राप्त होती है. इसके अलावा मौसम की जानकारी जुटाने आईएमडी हर दिन दो गुब्बारे हवा में छोड़ती है जो 40 किमी ऊपर तक भेजा जाता है. इस गुब्बारे के साथ जर्मनी मेड जीपीएस लगा होता है.
आईएमडी में मौसम की जानकारी लेने आए बच्चों में उत्सुकता देखी गई. आईएमडी के वैज्ञानिक भी लोगों को उनकी आवश्यकता के अनुसार हर प्रकार की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए तत्पर दिखे.