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सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं, राहुल गांधी के बयान पर बिफरे उद्धव ठाकरे

मुख्यमंत्री शिंदे अपने पिता का नाम लेने में शर्म आती है, मुख्यमंत्री को भी ठाकरे ने सुनाया

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सावरकर (Rahul Gandhi on Savarkar) पर दिए गए बयान पर बिफरे उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने कहा कि किसी भी हाल में हम वीर सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे. ठाकरे ने कहा कि कल राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेस की. उन्होंने हिडेनबर्ग घोटालों को नजर अंदाज किया लेकिन सावरकर के बारे में सार्वजनिक रूप से अपमान वाली भाषा बोलते हैं. मैं उनको कहना चाहता हूं कि हमें सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं है. (Savarkar’s insult is not tolerated, Uddhav Thackeray angry at Rahul Gandhi’s statement)

सावरकर के साथ क्या हुआ पढ़ सकते हैं.15 साल की उम्र में सावरकर को जेल भेज दिया गया. सावरकर ने जो किया वह किसी साधारण काम नहीं है, 14 साल की यातना सहना एक बलिदान है. हम राहुल गांधी से कह रहे हैं कि हम लोकतंत्र को बचाने आए हैं. उसके लिए मिल कर काम करें नहीं तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा. यह लड़ाई मेरे मुख्यमंत्री बनने की नहीं बल्कि लोकतंत्र को बचाने की है  यदि आप भाजपा में सावरकर भक्त हैं, तो अंध भक्त मत बनिए.

उससे पहले ठाकरे ने कहा कि विश्वासघात के बाद मुख्यमंत्री बने, उनकी अपनी उपलब्धियां शून्य हैं. वे अपने पिता का नाम लेने में शर्म महसूस करते हैं.  उद्धव ठाकरे मालेगांव में आयोजित शिवसेना यूबीटी  की सभा को संबोधित कर रहे थे. उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमारा नाम और चुनाव चिन्ह दोनों चुरा लिया गया. अब हमारे पास कुछ नहीं है फिर भी इतनी बड़ी संख्या में लोग जमा हुए. इतनी भीड़ पूर्वजों और मां जगदंबा की कृपा है. मैं मुख्यमंत्री बनने के लिए नहीं, आपके लिए खड़ा हूं. गद्दारों ने नाम और निशानी चुरा ली, पर उनकी किस्मत में दिलदार इंसान का प्यार नहीं है.

ठाकरे ने कहा कि आज हम किसानों से मिले. उन्होंने अपना जेवर गिरवी रखे हैं. कृष्णा डोंगरे के खून से पत्र लिखा गया था. मुख्यमंत्री पढ़ कर भाषण देते हैं लेकिन पत्र को पढ़ नहीं सकते. क्या आप इस पर आवाज उठाएंगे? .दीपावली के दौरान मुख्यमंत्री खेत में दिखे, हेलीकॉप्टर से खेत में गए लेकिन डैम जाने का समय नहीं मिला. कृषि मंत्री आए? महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया गया. यह उनका हिंदुत्व है. कृषि मंत्री किसानों की आत्महत्या में वृद्धि पर अपमानजनक टिप्पणी करते हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री कुछ नहीं करते. बेमौसम बारिश के बाद माविआ ने तुरंत मदद की थी. सत्ता जाने से हमे कोई तकलीफ नहीं है, लेकिन एक अच्छी सरकार को धोखे से उखाड़ फेंका गया. देशद्रोहियों को भगवा हाथ में लेने का कोई अधिकार नहीं है. आपकी पहचान देशद्रोही  ही रहेगी.

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