जिन्हें पुरस्कार मिला वे लोगों को देखने तक नहीं आए, ऐसे पुरस्कार का क्या फायदा, अस्पताल में भर्ती श्री सदस्यों के परिजनों का दिखा गुस्सा
आईसीयू में भर्ती चार की हालत अब भी क्रिटिकल

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
नवी मुंबई. महाराष्ट्र भूषण (Maharashtra Bhushan) पुरस्कार समारोह में उपस्थित राजनेता अब सांत्वना, प्रार्थना और बीमारों के जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं. इतने बड़े आयोजन में 11 लोगों की मौत का शायद अपराधबोध भी हो. लेकिन मात्र इन शब्दों से मृतकों के परिजनों को मिली टीस से भरा नहीं जा सकता.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ( Eknath Shinde) इसी अपराधबोध से ग्रसित होकर रात में ही अस्पताल का दौरा कर घायलों का हाल चाल पूछा. पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, विरोधी पक्ष नेता अजीत पवार भी आयोजकों को जिम्मेदार ठहरा कर घायलों को शब्दों का मरहम लगा आए. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त की.लेकिन इस हादसे में मृत श्री सदस्यों के परिजनों का ग़ुस्सा सरकार और पुरस्कार पाने वाले ‘महाराष्ट्र भूषण’ डॉ.अप्पा साहेब धर्माधिकारी के प्रति भी दिखाई दे रहा है. कल रात से ही अस्पताल में जुटे परिजनों का कहना है कि ‘ ऐसे पुरस्कार का क्या फायदा, जिन्हें पुरस्कार मिला वे अस्पताल में लोगों का हालचाल भी लेने नहीं आए. (Those who received the award did not even come to see the people, what is the use of such award, the family members of the hospitalized Shri members showed their anger)
यह गुस्सा महाराष्ट्र में भी हो सकता है. सरकार द्वारा अपर्याप्त व्यवस्था के लिए भी यह आक्रोश आम जनमानस में भी दिखाई दे रहा है. पूरे कार्यक्रम पर 14 करोड़ रुपए खर्च किए गए. राजनेताओं को बैठने के शेड और पीने के लिए पर्याप्त पानी था, लेकिन आम लोगों को तपती धूप में पानी भी नसीब नहीं हुआ. लोगों का कहना है कि जैसे नेताओं के लिए शेड लगाए गए थे वैसे कुछ करोड़ रुपए खर्च कर जनता के लिए शेड की व्यवस्था कर देते तो क्या हो जाता. आखिर पैसा तो खजाने से ही कर रहे थे.
श्री सदस्य एक दिन पहले से ही समारोह स्थल पर बैठने के लिए जगह घेरने पहुंच गए थे. साथ में जो पानी लेकर बैठे थे उसके खत्म होने के बाद बाहर निकलने के लिए जगह ही नहीं बची थी. उपर से तपता सूरज और नीचे से गर्म जमीन बिना शेड के बैठे लोग सैंडविच बन गए, बाहर निकलने की हड़बड़ी में हुई धक्का मुक्की में जो कमजोर थे उनके प्राण पखेरू उड़ गए. अभी एमजीएम कामोठे में भर्ती चार लोगों की हालत क्रिटिकल बनी हुई है. परिवार के लोग रात में रोते बिलखते मृतकों के शव ले रहे थे. रायगड उप जिला अस्पताल जहां सभी शव रखे गए थे वहां का माहौल गमगीन था.
महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार जो सबसे महाराष्ट्र का सर्वोच्च सम्मान जनक पुरस्कार माना जाता है. ऐसे पुरस्कार समारोह में व्यवस्था की कमी से हुए हादसे ने महाराष्ट्र को झकझोर दिया है. पुलिस समारोह के आयोजक पर एफआईआर दर्ज करने की बात कर रही है, लेकिन सरकार के दबाव में ऐसा हो पाएगा यह संभव नहीं दिखता है. इस हादसे के बाद भविष्य में होने वाले इस तरह के आयोजन में सावधानी बरतने के लिए राजनीतिक दल जरूर विचार करेंगे.