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अजित दादा को मुख्यमंत्री बनाओ गणराया, लालबाग राजा के चरणों में हर दिन मांगी जा रही 25 मन्नतें

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई.  गणेश भक्तों का मानना है कि लालबाग के राजा (Lalbagh Raja) दरबार में जो भी मांगों सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यही कारण है कि भगवान के चरणों में पत्र चढ़ाकर कई मन्नतें मांगी जाती हैं. अजित पवार के एक कार्यकर्ता ने राजा के चरणों में पत्र चढ़ाकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने मन्नत मांगी है. राजनीति, करियर से लेकर क्रिकेट तक, कई शुभ पत्र लागबाग के राजा के चरणों में रखे जाते हैं. लालबाग मंडल की ओर से कहा गया है कि वर्तमान में, प्रति दिन 20 से 30 पत्र विभिन्न बक्सों में प्राप्त हो रहे हैं. (Ganaraya, make Ajit Dada the Chief Minister, 25 wishes are being made every day at the feet of Lalbagh Raja)

अजित पवार के कार्यकर्ताओं का ये पत्र और राजा के चरणों में उनकी मांग का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. पत्र में उन्होंने बप्पा को अर्पित करते हुए कहा कि हे लालबाग के राजा, हमारे अजितदादा पवार को मुख्यमंत्री बनाया जाए. मैं हाथ जोड़कर बप्पा से प्रार्थना करता हूं.

बताया जाता है कि ऐसे कई पत्र राजा के चरणों में रखे जाते हैं. इसमें राज्य भर में चल रहे मराठा आरक्षण का मुद्दा राजा के चरणों तक पहुंच गया है. एक भक्त ने राजा को पत्र लिखकर मराठा आरक्षण दिलाने की मन्नत मांगी है. एक अन्य पत्र में अनुरोध किया गया है कि धनगर आरक्षण की गड़बड़ी को जल्द से जल्द सुलझाया जाए. मालूम हो कि इस साल मराठा और धनगर आरक्षण को लेकर लालबाग के राजा के पास कई पत्र आये हैं.

क्रिकेट, परीक्षा, आरक्षण के भी आते हैं पत्र 
इस समय क्रिकेट प्रेमियों की दिलचस्पी आईसीसी वर्ड कप में है, ऐसे ही एक क्रिकेट प्रेमी ने लालबाग के राजा को पत्र लिखकर इस साल का आईसीसी वर्ड कप भारत को जिताने की मांग की है. किसी ने परीक्षा पास होने और किसी ने कर्ज माफी की गुहार लगाई है तो किसी ने पत्र के माध्यम से यूपीएसी, एमपीएससी परीक्षा में सफल होने की गुहार लगाई है.

एक दिन में आते हैं 25 पत्र
हर साल लालबाग के राजा को मन्नतों के कई पत्र मिलते हैं। कई भक्त मन्नत वाला पत्र सीधे राजा के चरणों में रख देते हैं. मंडल ने लालबाग राजा के चरणों में पत्र रखना वर्जित किया, इसलिए कुछ भक्तों ने अपना मांग पत्र मन्नत बॉक्स के साथ-साथ दान पेटी में भी डाल देते हैं. मंडल ने कहा कि हर साल मंडल को लगभग 200 ऐसे पत्र मिलते हैं.

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