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सिवरेज का गंदा पानी साफ करने के बाद पेयजल में मिलाने का विरोध, यह पानी पीकर कोई मरा तो बीएमसी लेगी जिम्मेदारी

मनपा के रिटायर्ड इंजीनियरों ने प्रशासन को चेताया

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. बीएमसी (BMC ) मुंबई में पानी की कमी दूर करने के लिए सिवरेज के (Mumbai STP Project) गंदे पानी को स्वच्छ कर मुंबईकरों को आपूर्ति होने वाले पेयजल में मिलाने के सलाहकार नियुक्त किया है. बीएमसी की इस योजना को मनपा के रिटायर्ड हुए मुख्य अभियंताओं की संस्था “मुंबई विकास समिति” ने (Mumbai Vikas Samiti) मनपा प्रशासन को इस योजना से दूर रहने का सुझाव दिया है.
समिति के सदस्यों का कहना है कि मुंबई के सात सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकले गंदे पानी का त्रिस्तरीय उपचार के बाद स्वच्छ पानी को पेयजल में मिलाया जाएगा. समिति के सदस्यों में से एक नंदकुमार सालवी ने कहा, सबसे पहले यह देखना जरूरी है कि इस अपशिष्ट जल का उपचार कितनी उच्च गुणवत्ता का किया जाता है. साल्वी ने कहा कि इस पानी को पीने से कोई महामारी जैसी बीमारी होती है और कुछ लोग इससे मर जाते हैं तो क्या बीएमसी इसकी जिम्मेदारी लेगी. उन्होंने कहा कि मनपा की यह योजना व्यवहारिक नहीं है. ( Mumbai Vikas Samiti Opposed to mix dirty sewerage water with drinking water after cleaning )
समुद्र के पानी को मीठा बनाने वाली योजना खर्चीली , सार्वजनिक करें डीपीआर
समिति ने अपने अध्ययन में पाया कि पानी की कमी को दूर करने के लिए बीएमसी द्वारा शुरू की गई समुद्र के खारे पानी को उपचार कर पीने लायक बनाने की परियोजना भी अव्यवहारिक है जल वैज्ञानिक डॉ. माधव चितले ने भी स्पष्ट राय व्यक्त की है कि मुंबई को ऐसे किसी प्रोजेक्ट की जरूरत नहीं है. इसके बाद भी बीएमसी इस परियोजना को आगे बढ़ा रही हैं. मुंबई विकास समिति ने बीएमसी प्रशासन को सुझाव दिया है कि इस परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) सार्वजनिक करने की मांग की है. मुंबई विकास समिति और राष्ट्रीय मतदाता मंच ने एक उपभोक्ता नागरिक के शासन, संचालन और सेवाओं के बारे में दो रिपोर्ट तैयार की हैं, ‘ मनपा इंजीनियरिंग प्रणाली में सुधार’ और ‘अगले पांच वर्षों में मनपा से मुंबईकरों की उम्मीदें’ इन रिपोर्टों को तैयार करने में इंजीनियर, आर्किटेक्ट, उद्यमी, व्यवसाय सलाहकार और नागरिक समाज विशेषज्ञों को शामिल किया गया हैं. समिति की रिपोर्ट इन कारकों पर आधारित सुझावों के साथ-साथ मुंबई की विकास प्रक्रिया में नीतिगत रणनीतियों और वास्तविकताओं को प्राथमिकता देती है. इसी पृष्ठभूमि में समिति के सदस्य और मनपा के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता नंदकुमार साल्वी और चंद्रशेखर खांडेकर ने गुरुवार को मुंबई मराठी पत्रकार संघ में पत्रकारों से बातचीत की. सालवी ने कहा कि परियोजना मुंबईकरों के पैसे की बर्बादी मात्र है. प्रतिदिन चोरी और रिसाव में बर्बाद होने वाले 30 प्रतिशत पानी को बचाने से भी मुंबई में पानी की कमी की समस्या का समाधान हो सकता है. मनपा ने इस वर्ष के बजट में गारगाई-पिंजाल जलाशयों के लिए कुछ वित्तीय प्रावधान किया है. पिछले दो साल से यह प्रोजेक्ट लगभग दबा हुआ था। समिति ने इसे तेजी से बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया है. समिति ने मनपा का 80 प्रतिशत कार्य वहन करने वाले इंजीनियरिंग विभाग में सुधार की आवश्यकता बताई है. समिति ने राय व्यक्त की है कि परियोजना में देरी, प्रशासनिक मामलों में लगने वाले समय, वित्तीय पहलुओं का अध्ययन करना और परियोजनाओं की समीक्षा करना भी आवश्यक है.
वरिष्ठ अभियंता को बनाएं अतिरिक्त आयुक्त
सालवी ने कहा कि मनपा में लगभग 1000 इंजीनियरिंग पद खाली हैं जिन्हें तुरंत भरा जाना चाहिए. पिछले कुछ सालों से मनपा में कई काम बाहरी कंसल्टेंट से कराए जा रहे हैं. यह प्रथा बंद होनी चाहिए. मनपा के इंजीनियर यह जिम्मेदारी जरूर निभा सकते हैं. यह सुझाव दिया गया है कि कुछ तकनीकी, जटिल कार्यों के लिए सलाहकार की सेवाएं ली जा सकती हैं. कई वर्षों तक इंजीनियरिंग विभाग में काम करने के बाद, अनुभवी इंजीनियरों को इंजीनियरिंग विषयों और परियोजनाओं का गहन ज्ञान होता है. 25 से 30 वर्षों तक काम करने के बाद अनुभव का एक बड़ा भंडार जमा हो जाता है. ऐसे इंजीनियर को अतिरिक्त आयुक्त नियुक्त करना चाहिए. बाहर से आने वाले प्रशासनिक अधिकारी तीन वर्ष कार्यकाल पूरा कर चले जाते हैं। वे मुंबई के साथ न्याय नहीं करते हैं। जबकि मनपा के प्रतिभाशाली और शिक्षित वरिष्ठ इंजीनियरों का चयन इंजीनियरिंग मामलों में प्रशासन के सामने आने वाली कई समस्याओं को हल करने में मदद कर सकता है.

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