दिल्ली. पिछले 6 साल से बहुचर्चित नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को अब केंद्र सरकार ने लागू कर दिया है. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मोदी सरकार ने सबसे बड़ा फैसला लिया है. इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है. गृह मंत्री अमित शाह दो महीने में दो बार कह चुके हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले सीएए लागू कर दिया जाएगा. यह देश का कानून है. अमित शाह ने कहा था कि इसे कोई नहीं रोक सकता. संसद ने 11 दिसंबर 2019 को सीएए को मंजूरी दे दी थी. जिसके बाद आज से यह कानून पूरे देश में लागू हो गया है. (Central Government issued CAA notification)
कुछ हफ्ते पहले गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि यह कानून लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा. इस अधिनियम का उद्देश्य इन देशों के गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना है जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद 2019 से ही इस कानून का कड़ा विरोध हो रहा था. हालांकि, भाजपा ने सीएए के लिए एक मजबूत मामला बनाया और कानून पारित हो गया.
सीएए के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के बाद भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को नागरिकता दी जाएगी. केवल इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे.
असम, त्रिपुरा और अन्य पूर्वी राज्यों ने इस कानून को लेकर संदेह संदेह जताया था क्योंकि सीएए अधिनियम में प्रावधान है कि 24 मार्च, 1971 से पहले असम में आकर बसने वाले विदेशियों को नागरिकता नहीं दी जानी चाहिए. इसलिए स्थानीय लोगों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया था.
सीएए कानून पर भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है. विरोधियों ने कहा है कि यह भेदभाव है क्योंकि कुछ धार्मिक समूहों को छोड़कर नागरिकता दी जा रही है. विपक्ष ने संसद में आपत्ति जताई थी कि यह कानून मुस्लिम विरोधी है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, जो हर नागरिक को समानता का अधिकार देता है. इस कानून के विरोध में दिल्ली के शाहीनबाग में बड़ा प्रदर्शन किया गया था लेकिन सभी विरोध को दरकिनार कर केंद्र सरकार ने सीएए लागू कर दिया.