
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
Up Election 2022:लखनऊ उत्तर प्रदेश चुनाव में आज तीसरे चरण की वोटिंग चल रही है. यहां पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव करहल से चुनाव लड़ रहे हैं. चुनावी सियासत की जंग अवध क्षेत्र में पहुंच गई है. सभी पार्टियों का रुख अवध क्षेत्र मुड़ गया है. यह ऐसा क्षेत्र है जहां अयोध्या स्थित राम मंदिर की लहर पर सवार होकर बीजेपी पूरे देश में हिंदू वोटरों रुझान अपनी तरफ खींचने में कामयाब रही है.
भाजपा के लिए राम मंदिर मुद्दा वह प्रयोगशाला है, जिससे देश की राजनीति की दिशा और दशा दोनों ही प्रभावित की हैं. अवध क्षेत्र में 21 जिले आते हैं जिसमें विधानसभा की 118 सीटें हैं. जिसमें कुल 118 सीट आती है. हालांकि चौथे चरण में कुल 9 जिलों में मतदान होगा, जिसमें अवध के 7 जिले आते हैं. 118 सीटों वाले इस इलाके में पिछले 2 विधानसभा के नतीजे बताते हैं कि यहां चुनाव में हवा के रुख का काफी असर रहता है और अवध के आशीर्वाद से सरकार बन जाती है. बीजेपी की सफलता की नींव ही राम मंदिर है. इसलिए अवध में चुनाव पहुंचने के साथ ही बीजेपी ने राम नाम का नारा तेज कर दिया है.
राम लहर पर सवार होकर भाजपा ने सियासत में वह कारनामा किया है जो उसके लिए दिल्ली की सत्ता किसी दिवास्वप्न कम नहीं था. राम मंदिर का निर्माण भी जोर शोर से शुरु है. यही कारण है कि अयोध्या में जेपी नड्डा ने एक ही दिन में तीन सभाएं कीं, जो ये बताता है कि बीजेपी अब चुनाव को राम मंदिर से जोड़ने में जुट गई है, क्योंकि चौथे और पांचवें चरण में जिन इलाकों में वोट डाले जाएंगे, उसमें ज्यादातर अवध का इलाका है, जो राम मंदिर के मुद्दे का केंद्र हैं. बीजेपी इन इलाकों में भगवान राम के भरपूर आशीर्वाद की उम्मीद कर रही है क्योंकि राम मंदिर ने बीजेपी को कई बार कुर्सी तक पहुंचाया है.
अवध के बिना यूपी की सत्ता की कल्पना भी मुश्किल
यूपी की सत्ता में अवध की अहमियत राम मंदिर के मुद्दे के अलावा सीटों के गणित से भी बढ़ जाती है. अवध में कुल 21 जिले हैं 2017 के चुनावों में बीजेपी को 97 सीटें मिली थीं. 2012 में बीजेपी को इसी क्षेत्र में 10 सीटें मिली थीं. मतलब 2017 के चुनावों में बीजेपी ने 87 सीटें ज्यादा जीतीं. वहीं समाजवादी पार्टी को 2012 के तुलना में 2017 में घाटा हुआ. 2012 में समाजवादी पार्टी को 90 सीटें मिली थीं, जो 2017 में घटकर 12 रह गईं. यूपी चुनाव में बीएसपी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि अवध क्षेत्र में वो 10 से 12 सीटों पर दखल रखती है. 2012 में बीएसपी को यहां 10 सीटें मिलीं जो 2017 में घटकर 6 रह गईं और उसका दखल बना रहा. इन सारे आंकड़ों से ये तो साफ है कि जब अवध में साइकिल चली तो अखिलेश की सरकार बनी और जब अवध में कमल खिला तो बीजेपी की सरकार बनी.
अवध क्षेत्र में मोदी सरकार के चार मंत्री आते हैं. पहला नाम है रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का, जिनका संसदीय क्षेत्र लखनऊ है. दूसरा नाम है स्मृति ईरानी का, जिनका संसदीय क्षेत्र अमेठी है. इसके अलावा मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर और लखीमपुर से सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के इलाकों में भी चौथे चरण में मतदान होना है.
32% एससी वोटरों पर सबकी नजर
चौथे चरण में जिन इलाकों में मतदान होगा, वहां आबादी के लिहाज से एससी वोट काफी अहम हो जाता है.यहां के सीतापुर में सबसे ज्यादा 32 फीसदी एससी वोटर हैं. हरदोई, उन्नाव, रायबरेली में 30 फीसद के करीब. वहीं लखनऊ में सबसे कम 21 फीसद SC वोटर हैं. यानी चौथे चरण में अवध के आधे से ज्यादा जिलो में SC आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है.
2017 के नतीजे बताते हैं कि SC वोट भले ही BSP के पास हों, लेकिन गैर जाटव वोट बंट चुका है. 2017 चुनावों को देखें तो सबसे ज्यादा 43 फीसद गैर जाटव वोट समाजवादी पार्टी को मिले हैं. लेकिन 31 फीसद वोटों के साथ बीजेपी ज्यादा पीछे नहीं है. बीएसपी को गैर जाटव वोट 10 फीसद के आस पास ही मिले हैं लेकिन जाटव वोट 86 फीसद मिले हैं. अवध में SC आबादी में बड़ी संख्या गैर जाटव वोट की है और जिस तरह से गैर जाटव बंटा हुआ है, उसे देखते हुए अवध की लड़ाई में गैर जाटव वोट पर भी कब्जे का घमासान और तेज होगा.
जिले- 21
सीट- 118
चौथे चऱण में कुल जिले- 9
चौथे चरण में अवध के जिले- 7
118 सीटों का ऐसा रहा पिछला परिणाम
2012 2017
बीजेपी 10 97
एसपी 90 12
बीएसपी 10 06
पार्टियों को मिले वोट
भाजपा सपा बसपा
जाटव 9% 3% 86%
गैर जाटव 31% 43% 10%