महाराष्ट्रमुंबई
मुंबई पुलिस का स्याह चेहरा
म्हाडा अधिकारी को फर्जी केस में फंसा कर दो महीना रखा जेल में

जांच के बाद म्हाडा अधिकारी युवराज सावंत निर्दोष
पुलिस अधिकारियों की खुली पोल
(भाग-1)
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. मुंबई पुलिस का नाम और उसके कार्यप्रणाली की चर्चा पूरी दुनिया में होती है. लेकिन मुंबई पुलिस की सेवा में अब कुछ ऐसे पुलिस अधिकारी हैं जो फर्जीवाड़ा कर निर्दोष लोगों को जेल में डालने पर गर्व करते हैं. पुलिस को बदनाम करने वाले ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने गिने चुने अधिकारी छत्रछाया प्रदान करते हैं. ऐसे ही एक पुलिस निरीक्षक (घोटाले के बाद सर्विस से इस्तीफा) अनिल महादेव जैतापकर के कहने पर खार पुलिस ने फर्जी केस में म्हाडा के उपसमाज विकास अधिकारी युवराज संदीपान सावंत को फंसा कर दो महीने जेल में रखा गया. सावंत ने कोई अपराध नहीं किया था वे बस अपनी ड्यूटी कर रहे थे.
वर्ष 2001 में तिलक नगर स्थित महालक्ष्मी सहकारी गृहनिर्माण संस्था को म्हाडा और सरकार की तरफ से लीज एग्रीमेंट में शर्तों के अधीन रह कर 16(अ) के अंतर्गत भूखंड वितरित किया गया था. उस भूखंड में निर्माण कार्य के बाद 10% फ्लैट म्हाडा, 10% राज्य सरकार निर्देशित सदस्यों और 20% फ्लैट अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए आरक्षित रखने की शर्त थी. भूखंड पर कुल 52 फ्लैट और 6 दुकानें बनाई गई. संस्था के चेयरमैन तत्कालीन पुलिस निरीक्षक अनिल जैतापकर और सेक्रेटरी सुरेश परब ( तत्कालीन पुलिस निरीक्षक) थे. इमारत का निर्माण अनंत पाटिल और समसुद्दीन शेख कार्यकारी मंडल के सदस्य थे.
अनिल जैतापकर ने भूखंड के नियमों और शर्तों का उल्लंघन कर 46 फ्लैट और दुकानों अपात्र लोगों को बेच दिया. बाजार भाव के अनुसार म्हाडा और राज्य सरकार को 150 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. म्हाडा ने इस धोखाधड़ी के खिलाफ उप अभियंता सुरेश वराडे को दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए नियुक्त किया. लेकिन जैतापकर ने पुलिस अधिकारी का धौंस दिखा कर, झूठे केस में फंसाने की धमकी दी. वराडे ने ड़र कर दो साल तक एफआईआर दर्ज नहीं कराई. बाद में म्हाडा ने युवराज सावंत को एफआईआर दर्ज करवाने के लिए नियुक्त किया. युवराज सावंत ने अनिल जैतापकर, सुरेश परब, वल्लभ पांगे, सुरेश शिंदे, आनंद पाटील और सैयद मोहम्मद रफी समसुद्दीन के खिलाफ तिलक नगर पुलिस में अपराध क्रमांक 159/17 धारा 403,406,420,423,464,468,471 के तहत एफआईआर दर्ज करा दी. मामला करोड़ों का होने के कारण यह केस मुंबई आर्थिक अपराध शाखा को रिफर कर दिया गया. आरोपी अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट गए जहां जमानत याचिका खारिज हो गई थी. पुलिस अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज कराने से खुद पुलिस निरीक्षक जैतापकर बौखला गए. सावंत को जांच में यह भी पता चला कि जैतापकर पहले ही मुलुंड की अंतरिक्ष इमारत में फ्लैट नंबर 303,5 प्रतिशत सरकारी कोटा में पहले ही घर ले चुके हैं. झूठा शपथपत्र देकर एक और फ्लैट हासिल करने की शिकायत सावंत ने दर्ज कराई. मुंबई हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की.
झूठा शपथपत्र देकर दो फ्लैट लेने का मामला जे ए पाटिल कमेटी के पास साबित होने पर जैतापकर का महालक्ष्मी सोसायटी का फ्लैट म्हाडा ने अपने कब्जे में ले लिया.

युवराज संदीपान सावंत
(उपसमाज विकास अधिकारी,म्हाडा)
करोड़ों का घोटाला करने वाले पुलिस अधिकारी के हाथ से मामला फिसलता देख अपनी पहचान का फायदा उठा कर वर्ष 2014 में खार पुलिस स्टेशन में बिना लॉटरी फ्लैट दिलाने के नाम पर रकम ऐंठने का मामला दर्ज किया गया था. उस पुराने मामले गवाह के फर्जी बयान के ( हाईकोर्ट व बांद्रा कोर्ट के आदेश के अनुसार) आधार पर युवराज संदीपान सावंत को गिरफ्तार कर लिया गया. दो महीने उन्हें जेल में रखा गया.
शेष अगले अंक में…..