इतनी हिम्मत कि मातोश्री घेर लिए, बालासाहेब होते अब तक सभी के पायजामे गीले हो जाते
वोट के चक्कर में ये क्या हो गया

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. एक समुदाय के लोग बांद्रा स्थित मातोश्री के बाहर नारे लगा रहे थे कि ‘वोट लेकर भाग गया, गद्दार है, गद्दार है. बीते 50 साल में ऐसी हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई थी, न किसी में इतनी हिम्मत थी कि वे मातोश्री ( Matoshri) के पास फटक सकें. एक समुदाय का वोट पाने के चक्कर में यह हाल हो गया, उनमें इतना हौंसला आ गया कि मातोश्री के बाहर खुले आम ऐसे नारे लगा रहे हैं. यह नारा तो उद्धव साहब शिवसेना के बागी हिंदुओं के लिए लगाते हैं. काश बाला साहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) होते तो जो मुट्ठी भर लोग माताश्री पर चढ़ कर नारे लगा रहे थे अब तक सभी के पायजामे गीले हो गए होते. (So much courage that they surrounded Matoshree, by now Balasaheb would have been there, everyone’s pyjamas would have been wet)
शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी ( Shivsena UBT) को एक स्टैंड लेना होगा. स्टैंड यह कि वे किसके साथ हैं. जो लोग मातोश्री के नारे लगा रहे थे वे अपनों के नहीं हुए उद्धव साहब आपके भी नहीं हो सकते. उनको करीब करने के चक्कर में आपका अपना वोट बैंक भी खिसक रहा है. यह आपके पार्टी के वह कार्यकर्ता कह रहे हैं जो शिवसेना में बगावत के बाद भी आपके साथ खड़े रहे.
वक्फ बोर्ड का मामला हो कथित अल्पसंख्यकों के दूसरे विषय जो अधिकार बहुसंख्यक समाज को मिलता है,वही उनको भी हासिल है. बिना किसी भेदभाव के. शिवसेना के नगरसेवक हो , विधायक या सांसद सभी के काम करते हैं, फिर भी वे आपको गद्दार कहने कह रहे हैं. यह तो आपको समझना है कि कौन अपना और कौन पराया है. विधानसभा चुनाव में वे आपको वोट देने से रहे. अब भी आपका स्टैंड साफ नहीं हुआ तो आपके अपने भी आपसे दूर चले जाएंगे.
आपके कार्यकर्ता तभी साथ रहेंगे जब बालासाहेब की शिवसेना वाला तेवर आप दिखाएंगे, ताकी किसी की हिम्मत न हो कि वह मातोश्री पर चढ़ कर गद्दार बोल सके. अब भी समय है, नहीं तो बहुत पछताना पड़ेगा. आपकी पार्टी के कार्यकर्ताओं की यही सोच है.




