महाराष्ट्रमुंबई

मुंबई पुलिस का स्याह चेहरा (भाग2)

बिना लॉटरी म्हाडा फ्लैट देने वाली लुटेरी गैंग

गवाह के कथित बयान पर युवराज सावंत को किया गिरफ्तार
भाग (2)
 आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई.  वर्ष 2009 में म्हाडा की स्कीम में बिना लॉटरी  के ‘स्पेशल ऑफिसर कोटा’ में फ्लैट दिलाने वाली गैंग के खिलाफ  योगेश अहिर ने खार पुलिस में ठगी की शिकायत की थी.  अहिरे की शिकायत पर खार पुलिस ने  अपराध क्रमांक  485/2014 दर्ज किया था जिसमें विद्याधर उर्फ विजयनाथ पाल, सुनीता तुपे, रमेश चव्हाण,युवराज पाटिल सावंत नाम जोड़ा गया था. इस गैंग के कई सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था लेकिन अब भी कई फरार हैं जिन्हें गिरफ्तार किया जाना है. अहिरे की शिकायत पर पुलिस अधिकारी म्हाडा मुख्यालय जांच करने आये तो उन्हें  म्हाडा की तरफ से जानकारी दी गई कि युवराज पाटिल सावंत नामक कोई अधिकारी म्हाडा में नहीं है. युवराज संदीपान से भी पूछताछ हुई. जितने गवाह थे सभी ने युवराज संदीपान सावंत को पहचानने से इनकार कर दिया था. दरअसल सुनीता सौंदर्यतुपे ने अपना नाम अहिरे को सुनीत तुपे बताया था. वही इस गैंग की मास्टरमाइंड थी. उसने अहिरे को जिस व्यक्ति का नाम सावंत कह कर सुनीता सौंदर्यतुपे ने परिचय कराया था वह रविंद्र दरवेश उर्फ रवि पाटिल था. खार पुलिस ने युवराज संदीपान सावंत को फिर बुलाकर बयान दर्ज कराया.  यह बात वर्ष 2014 की है. मुंबई पुलिस की अपराध शाखा -7 के प्रभारी पुलिस निरीक्षक श्रीधनकर ने भी युवराज सावंत को बुलाकर पूछताछ की.  और झूठी रिपोर्ट हस्ताक्षर करके भेज दी. खार पुलिस ने 2014 युवराज सावंत का बयान दर्ज किया था और उन्हें 2018 में क्लीनचिट दिया था. लेकिन ने उन गवाहों जिन्होंने 2014 में सावंत को नहीं पहचाना था  उन्हीं से स्टेटमेंट दिला कर खार पुलिस के  वरिष्ठ निरीक्षक संजय मोरे, किशोर पवार और जैतापकर ने उन्हें मुकदमे में फंसा दिया गया.  यह केस किशोर पवार के नहीं था, बिना डीसीपी के आर्डर के किशोर पवार को जांच सौंपी गई. पवार ने सावंत को गिरफ्तार किया था. युवराज सावंत का कहना है कि उन्हें किस बात की सजा मिली आज तक समझ नहीं पा रहा हूं.
इस बीच कई अलग-अलग लोगों को खड़ा कर युवराज सावंत के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई गई. इसी में एक थे संदेश वाईरकर  जिन्हें खड़ा कर सावंत के विरुद्ध एंटी करप्शन ब्यूरो में शिकायत दर्ज कराई गई थी. एंटी करप्शन ब्यूरो ने सावंत के खिलाफ दर्ज की गई शिकायत को तथ्यहीन पाते हुए शिकायत को बंद कर दिया है.
 सावंत को अनावश्यक कोर्ट कचहरी, पुलिस स्टेशन के चक्कर काटने पड़े. पूरे परिवार को मानसिक तनाव झेलना पड़ा. उनके पिताजी की  इसी सदमे के कारण मौत हो गई. लेकिन पुलिस के रचे हुए कुचक्र का खामियाजा वे अभी तक भुगत रहे हैं. खार पुलिस के जिस अधिकारी ने सावंत को फर्जी मामले में फंसाया कोर्ट के आदेश के बाद भी उस पर कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की  गई. उल्टे उसका प्रमोशन कर दिया गया.
कोर्ट ने सावंत को पाया निर्दोष
खार पुलिस की तरफ से दर्ज की एफआईआर और गिरफ्तार आरोपियों की सुनवाई अतिरिक्त महानगर दंडाधिकारी 9वें न्यायालय बांद्रा में हुई.  उसमें योगेश अहिरे को आरोपियों ने म्हाडा का फ्लैट दिलाने के नाम पर 2 करोड़ 22 लाख रुपये की ठगी की थी. सभी पर आरोप सिद्ध हो गए लेकिन युवराज संदीपान सावंत के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने पर कोर्ट ने दोष मुक्त करार दिया. पुलिस ने लंबी तहकीकात के बाद   सीआरपीसी की धारा 169 की रिपोर्ट बना कर  एफआईआर से नाम निकालने के कोर्ट में फाइल किया है जिस पर अभी सुनवाई होनी है.  उससे पहले हाईकोर्ट ने भी सुनवाई में युवराज सावंत के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने पर पुलिस को  आदेश दिया था कि युवराज सावंत पर चार्जशीट फाइल न करें. सावंत ने हाईकोर्ट में पिटीशन दायर की है. पिटीशन पर अभी सुनवाई होनी है.
शेष अगले अंक में…. पढ़िये, ईओडब्ल्यू ने कैसे आरोपियों के उपर दर्ज गैरजमानती धाराओं को हटा दिया.

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