सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला 25 मार्च 1971 के बाद भारत में आए बांग्लादेशी अवैध,

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने आज बड़ा फैसला सुनाते हुए 25 मार्च 1971 के बाद आए बांग्लादेशी को अवैध करार दिया है.जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय कानून की धारा 6ए वैध है. इस फैसले के बाद असम सरकार के साथ पूरे भारत में अवैध रूप से बसे बांग्लादेशियों को निकालने का रास्ता साफ हो गया है. (Supreme Court’s big decision: Bangladeshis who came to India after 25 March 1971 are illegal)
पांच सदस्यीय संविधान पीठ में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एम एम सुंदरेश, जस्टिस जे बी पारदीवाला, और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे. यह फैसला 4.1 की बहुमत से सुनाया गया.
इस मामले की सुनवाई कर रही पांच जजों वाली संवैधानिक पीठ के 4 न्यायाधीशों ने नागरिकता कानून की धारा 6ए को वैध माना है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि 25 मार्च 1971 के बाद आए बांग्लादेशी वैध नहीं हैं. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि असम समझौता अवैध प्रवास की समस्या का राजनीतिक समाधान था और धारा 6ए वैधानिक समाधान था. बहुमत ने माना कि संसद के पास प्रावधान लागू करने की वैधानिक क्षमता है. बहुमत ने माना कि धारा 6ए को स्थानीय आबादी की सुरक्षा की आवश्यकता के साथ मानवीय चिंताओं को संतुलित करने के लिए लागू किया गया था.
बहुमत ने यह भी माना कि असम को बांग्लादेश के साथ बड़ी सीमा साझा करने वाले अन्य राज्यों से अलग करना तर्कसंगत था क्योंकि असम में स्थानीय आबादी में अप्रवासियों का प्रतिशत अन्य सीमावर्ती राज्यों की तुलना में अधिक था. असम में 40 लाख प्रवासियों का प्रभाव है जबकि पश्चिम बंगाल में 57 लाख प्रवासियों से अधिक है क्योंकि असम में भूमि क्षेत्र पश्चिम बंगाल की तुलना में बहुत कम है.
इस फैसले का असम में व्यापक असर देखने को मिलेगा. असम सरकार राज्य में अवैध रूप से आए बांग्लादेशियों को राज्य से निकालने का रास्ता मिल गया है.