Breaking News

शिवसेना नेता यशवंत जाधव के घर इनकम टैक्स की रेड

किरीट सोमैया ने लगाया था मनी लांड्रिंग का आरोप

आईएनएस न्यूज  नेटवर्क

मुंबई. मुंबई में चल रहे प्रवर्तन निदेशालय ED की रेड लगातार चल रही है. अब आयकर विभाग ने अपना काम शुरु कर दिया है. आयकर विभाग के लपेटे में अब मुंबई महानगर पालिका स्थायी समिति अध्यक्ष यशवंत जाधव भी आ गए हैं.  बीजेपी नेता किरीट सोमैया के आरोप के बाद भाजपा विधायक अमित साटम ने 18 जनवरी को यशवंत जाधव पर बीएमसी ठेके में 15 करोड़ रुपये घोटाले का आरोप लगाया था.

तब से ही बीएमसी में बीजेपी नेताओं ने महापौर किशोरी पेडणेकर और स्थायी समिति अध्यक्ष यशवंत जाधव के खिलाफ बहुत आक्रामक रुख अपना लिया है. भाजपा सांसद किरीट सोमैया के आरोप के बाद भाजपा ने यशवंत जाधव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए महापौर को पत्र लिखा था. महापौर किशोरी पेडेकर को लिखे पत्र में बीजेपी ने कहा  हैं कि आयकर विभाग ने यशवंत जाधव पर अनियमितता कर पैसा जमा  करने की जांच कर रहा है. इससे यह स्पष्ट हो गया है कि जाधव अपने पद पर बने रहने के काबिल नहीं है. बीजेपी ने मनपा सदन की बैठक बुलाकर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग की थी.

जाधव पर आरोप है कि उन्होंने प्रधान डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड में अपने बेटे और पत्नी को डायरेक्ट बना कर बीएमसी में अनियमितता कर जमा किए गए पैसे का इनवेस्टमेंट किया है. कंपनी के डायरेक्टर उदय शंकर माहवार ने कंपनी का  डायरेक्टर पद और शेयरहोल्डिंग, यशवंत जाधव और परिवार के नाम ट्रांसफर किया था. हालांकि ईडी ने स्पष्ट किया कि यह उनकी रेड नहीं है. जाधव से आयकर विभाग के अधिकारी उनसे पूछताछ कर रही है. लेकिन यह नहीं पता चला कि उनसे किस मामले में पूछताछ की जा रही है. बीएमसी चुनाव से पहले शिवसेना नेताओं पर भी शिकंजा कस सकता है.

शिवसेना नेता संजय राउत के करीबी प्रवीण राउत को पत्राचाल भूखंड की बिक्री, एफएसआई का अवैध तरीके से ट्रांसफर के मामले में गिरफ्तार किया गया था.  ईडी ने उन्हें पीएमएलए सत्र न्यायालय में पेश किया था जहां उनकी हिरासत 7मार्च तक बढ़ा दी है. इस मामले में संजय राउत की भी मुश्किल बढ़ सकती है.

गुट नेता प्रभाकर शिंदे ने आरोप लगाया कि यशवंत जाधव के कार्यकाल में कोविड में खर्च हुए ,स्कूली छात्रों के लिए खरीदे जा रहे टैब और पोइसर नदी के पानी  को शुद्ध  करना  आदि प्रस्ताव पर स्थायी समिति  में सदस्यो को बोलने का मौका दिए बिना प्रस्ताव को मंजूर किया जाता है. नियमों की अनदेखी कर सदस्यों को कुछ प्रस्ताव कुछ घंटा पहले भेजे जाते हैं.

Related Articles

Back to top button