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काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद

कोर्ट ने नियुक्त किया कमिश्नर

19 अप्रैल को होगा कमिश्नर का दौरा
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
वाराणसी. वाराणसी की एक अदालत ने अत्यधिक विवादित काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद (Court commissioner appointed in controversial Kashi Vishwanath temple-Gyanvapi mosque case) मामले  में शुक्रवार को कोर्ट कमिश्नर अप्वाइंट करने का आदेश दिया. सिविल जज ने अपना फैसला सुनाते हुए नियुक्त किए गए कमिश्नर को 19 अप्रैल को मंदिर-मस्जिद परिसर का दौरा करने और परिसर की वीडियोग्राफी कराने के निर्देश दिए हैं.
  कोर्ट ने कमिश्नर के दौरे के समय विवादित परिसर में भारी सुरक्षा बलों को तैनात करने का भी आदेश दिया है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कमिश्नर की नियुक्ति का फैसला किया है. काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद वर्तमान में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित है. वाराणसी कोर्ट का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा वाराणसी के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने के लगभग छह महीने बाद आया है, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का व्यापक भौतिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था.
अप्रैल में आया था एएसआई सर्वेक्षण का आदेश 
  निचली अदालत ने 8 अप्रैल को मस्जिद परिसर की जांच के लिए एक एएसआई सर्वेक्षण का आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि एक हिंदू मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त करने के बाद मुगल सम्राट द्वारा मस्जिद का निर्माण करने का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए अभ्यास की आवश्यकता थी. यह आदेश उस भूमि की बहाली की मांग पर था, जिस पर ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है. इस याचिका का अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद (एआईएम) नामक ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने विरोध किया था.
क्या है याचिका का आधार
विवादित परिसर की एएसआई सर्वेक्षण की मांग वाली याचिका में दावा किया है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1664 में मंदिर को नष्ट कर दिया था और इसके अवशेषों पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया. 1991 में एक मुकदमा दायर किया गया था जिसमें उस स्थान पर प्राचीन मंदिर की बहाली की मांग की गई थी जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद है.

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