
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. कोरोना काल में लगे लॉकडाउन की वजह से जब सब जगह सन्नाटा पसरा हुआ था, लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए थे उस समय मुंबई में अतिक्रमण कर इमारतों और झोपड़पट्टियों में अवैध निर्माण का काम धड़ल्ले से चल रहा था. लॉकडाउन में सभी दुकानें बंद थीं उसके बाद भी भूमाफियाओं को अवैध निर्माण के सामान की कोई कमी नहीं थी. डेढ़ साल में मुंबई के भीतर 84,360 अवैध निर्माण बना दिए गए लेकिन बीएमसी ने एक पर भी कार्रवाई नहीं की है.
दरअसल मुंबई हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर यह कहा गया था कोरोना संक्रमण के लोगों के पास खाने को कुछ नहीं है ऐसे में उन्हें बेघर नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट ने पूरे राज्य में घरों को तोड़ने पर रोक लगा दी थी. उस रोक को दोबार बढ़ाया गया. सभी कर्मचारी कोरोना से लड़ने में व्यस्त थे इसलिए अवैध निर्माण पर किसी का ध्यान नहीं गया. अधिकारियों ने हाईकोर्ट ने आदेश गलत मतलब निकाल कर नये अवैध निर्माण पर भी कोई कार्रवाई नहीं की. जबकि कोर्ट ने नये अवैध निर्माण पर एक्शन लेने पर कोई रोक नहीं लगाई थी.
कोरोना का संक्रमण कम हो गया है. सब कुछ पूर्ववत हो गया है. हाईकोर्ट ने भी कोरोना संकट के समय तोड़क कार्रवाई पर लगी रोक हटा ली है. उसके बाद भी बीएमसी अधिकारी अवैध निर्माण पर एक्शन लेने के मूड में नहीं हैं.
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से अवैध निर्माण तोड़ने पर लगी रोक हटाने की मांग की थी. कोरोना संकट के दौरान कंगना राणावत ऑफिस को तोड़ दिया था. हाईकोर्ट ने रोक हटा लिया है. रोक हटाने के बाद भी अवैध निर्माण नहीं तोड़े जाने पर हाईकोर्ट हाईकोर्ट नाराजगी जताई थी.
मुख्यमंत्री के आदेश की अनदेखी
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बीएमसी अधिकारियों के साथ बैठक कर स्पष्ट आदेश दिया था कि अवैध निर्माण को तोड़ने में कोई हिचकिचाहट न दिखाएं, बिना किसी दबाव के अवैध निर्माण को तोड़ें, हम तुम्हारे साथ खड़े हैं. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी बीएमसी अधिकारी अवैध निर्माण तोड़ने को लेकर मौन साधे हुए हैं. मुंबई में हो रहा अवैध निर्माण बड़ा बिजनेस भी है. खाली पड़ी सरकारी जमीन हो या इमारतों अवैध रूप से एक दो मंजिलें और चढानी हो बिना बीएमसी अधिकारियों के आशीर्वाद से यह संभव नहीं है. अवैध निर्माण का नतीजा है कि बांद्रा में पांच मंजिला झोपड़े बनने लगे हैं. आरोप लगते हैं कि बीएमसी के कुछ सहायक आयुक्त जिस वॉर्ड में जाते हैं वहीं अवैध निर्माण को खूब बढ़ावा मिलता है. बांद्रा की बहुमंजिली झोपड़पट्टियों को देखते हुए अब सब जगह तीन से चार मंजिला झोपड़े खड़े कर दिए जाते हैं. ठेकेदार से लेकर नगरसेवक अधिकारी सभी एक दूसरे को मैनेज करके चलते हैं. इसलिए भी अवैध झोपड़ो पर कार्रवाई नहीं की जाती है.
डेढ़ साल में हुए अतिक्रमण पर बीएमसी कार्रवाई करने में कोई रुचि नहीं ले रही है. बीएमसी कमिश्नर को अपने अधिकारियों को अवैध निर्माण तोड़ने के लिए सख्त आदेश देने चाहिए. क्या नीचे के अधिकारी कमिश्नर की नहीं सुनते जो मुख्यमंत्री के आदेश देने के बाद भी अवैध निर्माण पर तोड़क कार्रवाई नहीं की जा रही है.
रवि राजा
विरोधी पक्ष नेता, बीएमसी