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उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री और एमएलसी पद से इस्तीफा

सुप्रीम कोर्ट का फ्लोर टेस्ट का आदेश आते ही छोड़ा पद

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे  ने आज मुख्यमंत्री और एमएलसी पद से इस्तीफा (Uddhav Thackeray resigns as Chief Minister and MLC) दे दिया. राज्यपाल ने महाविकास आघाड़ी सरकार को बहुमत साबित करने का आदेश दिया था. जिसके खिलाफ शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट में चली 3 घंटे की बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.  मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे रात 11 बजे अपने बेटों आदित्य ठाकरे और तेजस ठाकरे के साथ मातोश्री से राजभवन इस्तीफा देने खुद कार ड्राइव कर गये और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपना इस्तीफा सौंप दिया.

कोर्ट में मामला चल रहा था उस समय उद्धव ठाकरे मंत्रिमंडल की आखिरी बैठक कर रहे थे. इस बैठक में कई प्रस्ताव पास किए गए जिसमें अहमदनगर का नाम धाराशिव और औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर करने का निर्णय लिया.

देवेंद्र फडणवीस को राज्यपाल दे सकते हैं सरकार बनाने का न्योता 

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद एक तरफ भाजपा और शिवसेना के बागी विधायकों के समर्थकों में खुशी की लहर है वहीं शिवसेना और महाविकास आघाड़ी दलों में मायूसी छाई हुई हैं. भाजपा की तरफ से बताया गया कि देवेंद्र फडणवीस को राज्यपाल जल्द सरकार बनाने के आमंत्रित कर सकते हैं. और शिवसेना के बागी विधायकों के बीच मंत्रिमंडल का बंटवारा हो गया है. https://insightnewsstories.com/?p=3685/ शपथग्रहण से पहले उसकी घोषणा की जाएगी.

विधायकों को मनाने की आखिरी कोशिश करेंगे उद्धव 

इस्तीफे के बाद शिवसेना के सामने सबसे बड़ा संकट अपनी पार्टी बचाने का है. उद्धव ठाकरे शिवसेना को टूटने से बचाने की आखिरी कोशिश करेंगे. मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद बागी विधायक शिवसेना यानी उद्धव ठाकरे के साथ रहेंगे या पूरी शिवसेना पर अपना दावा ठोंकेगे. इस पर बहस छिड़ी हुई है. बागी विधायक पहले ही कहते रहे हैं कि वे बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना को बचाने के लिए यह कदम उठाया है. वे विधायकों को मनाने की कोशिश करेंगे. मंत्रिमंडल से पहले शरद पवार ने अपने आवास पर महाविकास आघाड़ी दलों की बैठक बुलाई थी जिसमें मुख्यमंत्री ने यह कह कर जाने से इनकार कर दिया कि अब क्या बचा है?

संजय पर गिरेगी गाज?

शिवसेना की टूट का बड़ा कारण संजय राउत के बयानों को भी माना जा रहा है. मविआ सरकार गठन के संजय राउत का शिवसेना में कद इतना बढ़ गया कि उनके सामने सभी नेता बौने साबित होने लगे. मातोश्री पर भी राउत की बात सुनी जाने लगी जिससे विधायक और शिवसेना के मंत्री खफा होते चले गए. शिवसेना सूत्रों के अनुसार बागी  विधायक संजय राउत से इतना खफा हैं कि उनके साथ काम करने को राजी नहीं होंगे. यह भी कयास लगाया जा रहा है कि राउत की सामना के संपादक और सांसद पद दोनों से बलि देना पड़ सकता है.

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