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शिवसेना के 15 सांसदों के साथ शिंदे की बैठक
उद्धव ठाकरे को लगने जा रहा एक और झटका

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. विधानसभा के 55 विधायकों में से 40 विधायकों की बगावत के बाद शिवसेना को एक और बड़ा झटका लगने जा रहा है. शिवसेना के 15 सांसदों की मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ बैठक (Shinde’s meeting with 15 Shiv Sena ) से शिवसेना में खलबली मच गई है. यह बैठक राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन देने के मुद्दे पर होने की जानकारी मिली है.
मातोश्री का आदेश अंतिम होता था, अब नहीं
बाला साहेब ठाकरे के समय से ही शिव सैनिकों के लिए मातोश्री एक तीर्थ की तरह माना जाता रहा है. वहां से निकला आदेश अंतिम आदेश होता था. बालासाहेब ठाकरे के बाद शिवसैनिकों पर उद्धव ठाकरे की भी उतनी ही मजबूत पकड़ रही है. लेकिन एकनाथ शिंदे की चुनौती के बाद माहौल बदल गया है. शिवसेना के दो तिहाई विधायक तोड़ने वाले शिंदे लगातार कह रहे हैं कि उनकी ही शिवसेना असली शिवसेना है. क्योंकि वह बाला साहेब ठाकरे के हिंदुत्व वादी विचारों पर आगे बढ़ रहे हैं. विधायकों के बाद 15 सांसदों के साथ शिंदे की बैठक उद्धव ठाकरे को एक और बड़े झटके दे सकती है. सांसदों ने उद्धव का साथ छोड़ा तो शिवसेना के अस्तित्व पर ही सवाल पैदा हो जाएगा.
उद्धव से दूरी बना कर चल रही भाजपा
महाविकास आघाड़ी सरकार बनने से पहले ही मातोश्री के इशारे पर भाजपा नेतृत्व पर हमला बोला जा रहा था. मातोश्री के समर्थक भाजपा की सहायता से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो गए हैं. राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने के लिए भाजपा मुख्यालय में एनडीए की बैठक हुई= इस बैठक में शिवसेना की तरफ से विधायक दीपक केसरकर उपस्थित थे. उद्धव ठाकरे ने भी एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन दिया है लेकिन भाजपा ने आभार व्यक्त नहीं किया. राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मुर्मू मुंबई में हैं जिसमें उद्धव ठाकरे को आमंत्रित भी नहीं किया गया. इससे साफ है कि भाजपा अब उद्धव ठाकरे को बिल्कुल महत्व देने के पक्ष में नहीं है.
जो झुकता नहीं वह टूट जाता है
अब तक कितने भी बड़े नेता रहे हों उन्हें मातोश्री पर आना पड़ता था. मातोश्री कभी किसी के समझ नहीं झुका. राजनीति में नेताओं के रुख में लचीलापन होना भी बहुत बड़ा गुण माना जाता है. जो झुकता नहीं, वह टूट जाता है. यही हाल मातोश्री का हुआ है. टूटने के बाद भी ठाकरे परिवार का रुख नरम नहीं हुआ है.