
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
प्रयागराज. बायोरेमेडियन ट्रीटमेंट के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईआईटी कानपुर और आईआईटी बीएचयू वाराणसी को गंगा में गिर रहे नालों के पानी का सैंपल लेकर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है.
गंगा में नाले का पानी डालने और रात में एसटीपी बंद रखने की शिकायत पर अधिवक्ता वीसी श्रीवास्तव की शिकायत पर एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता के नेतृत्व में टीम गठित की गई है. यह दल नालों की जांच कर हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट देगा.
टीम के सदस्य मुख्य स्थायी अधिवक्ता जेएन मौर्य, भारत सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी, राज्य विधि अधिकारी मनु घिल्डियाल और अधिवक्ता चंदन शर्मा होंगे. एडीएम सिटी के समन्वय से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम सैंपल लेगी. अब याचिका पर सुनवाई 12 नवंबर को होगी
अधिवक्ता एचएन त्रिपाठी के माध्यम से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में न्यायालय में पेश की जाएगी. इसके साथ ही आइआइटी की जांच रिपोर्ट रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से पेश की जाएगी. याचिका पर सुनवाई 12 नवंबर को होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पूर्ण पीठ ने गंगा प्रदूषण मामले की सुनवाई करते हुए दिया है.
जल निगम लखनऊ के प्रबंध निदेशक ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि प्रयागराज में 740 में से 48 नाले खुले हैं. इसमें 10 अस्थायी रूप से टैप किए जाते हैं,बाकी टैप किए गए हैं.
अतिरिक्त मुख्य सचिव शहरी विकास को पत्र लिखकर नाले को गंगा में जाने से रोकने के लिए एक करोड़ रुपये की योजना दी गई है.
24महीने में पूरी होगी परियोजना
एक माह में तैयार हो जाएगी डीपीआर स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन की मंजूरी के बाद यह परियोजना 24 महीने में पूरी हो जाएगी. प्रयागराज में विद्युत शवदाह गृह की स्थिति पर कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार और नगर निगम समन्वय से काम करें.
श्मशान को चालू रखने के लिए नगर आयुक्त को पावर बैकअप रखना चाहिए. श्मशान घाट को स्नान घाटों से दूर रखने के लिए नगर निगम और प्रयागराज विकास प्राधिकरण को योजना बनाकर लागू करनी चाहिए
गंगा तट पर अवैध निर्माण
जस्टिस अरुण कुमार गुप्ता ने वाराणसी में गंगा के उस पार एक नहर के निर्माण में बाढ़ के कारण जनता के पैसे की बर्बादी का मुद्दा उठाया. साथ ही ललिता घाट पर गंगा में दीवार बनाने और उसमें विश्वनाथ कॉरिडोर का मलबा डालने पर भी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग ने वाराणसी में करोड़ों रुपये खर्च कर गंगा के पार पांच किलोमीटर लंबी 30 मीटर चौड़ी नहर का निर्माण किया, जो बाढ़ में तबाह हो गई, जिससे जनता का पैसा बर्बाद हो गया.
कोर्ट ने राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी से गंगा घाट की स्थिति और गंगा के पारिस्थितिकी तंत्र के प्रभाव के मुद्दे पर विवरण मांगा है.
नहर के मुद्दे पर सिंचाई विभाग के प्रबंध निदेशक से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा गया है. वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, जिलाधिकारी ने गंगा तट पर पक्के निर्माण पर व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है.
न्यायमित्र ने नवप्रयाग योजना का मुद्दा उठाते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने गंगा के तट पर सबसे ऊंचे बाढ़ बिंदु से पांच सौ मीटर तक निर्माण पर रोक लगा दी है.
इसके बावजूद प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने बिना अनुमति यमुना पुल के पास आवासीय योजना बना ली है. निजी बिल्डरों द्वारा गंगा किनारे प्लाट बेचने पर प्राधिकरण की चुप्पी पर सवाल उठाए गए.
इस पर कोर्ट ने प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को प्रोजेक्ट प्लान पेश करने का निर्देश दिया है. साथ ही पीडीए उपाध्यक्ष को सर्वे करने का निर्देश देते हुए पूछा कि हाईकोर्ट के प्रतिबंध के खिलाफ कितने निर्माण हुए हैं.
प्लास्टिक बैग प्रतिबंध
प्रयागराज माघ मेला प्रभारी ने बताया कि 15 जुलाई 2018 को एक अधिसूचना जारी कर 50 माइक्रोन के प्लास्टिक बैग के निर्माण, बिक्री, उपयोग, वितरण, भंडारण, परिवहन आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसे 2 अक्टूबर 2018 से लागू किया गया है. अदालत ने आयुक्त को डीएम रैंक के अधिकारियों की एक टीम बनाने और पुलिस की मदद से प्रतिबंध लागू करने का निर्देश दिया है. वे स्वयं निरीक्षण कर 15 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करें. कोर्ट ने राज्य सरकार को हरिश्चंद्र अनुसंधान संस्थान छतनाग के निर्माण को लेकर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है.