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लोकसभा अध्यक्ष ने शिंदे गुट को दिया मान्यता
उद्धव ठाकरे के हाथ से निकली पार्टी की कमान

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
दिल्ली. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के हाथ से कार्यकर्ताओं के साथ अब पार्टी भी फिसलती जा रही है. पार्टी के पार्टी के 12 सांसदों के शिंदे गुट से मिलने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम विरला (Lok Sabha Speaker gave recognition to Shinde faction) ने शिंदे गुट के सांसदों को मान्यता दे दी है. इससे शिवसेना उद्धव गुट (Uddhav Thackeray) के हाथ से महाराष्ट्र के बाद दिल्ली भी निकली गई है. इससे पहले शिंदे गुट को सांसदों को वाई श्रेणी की सुरक्षा मिलना प्रदान की गई थी.
महाराष्ट्र सीएम शिंदे ने मंगलवार को जानकारी दी कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राहुल शेवाले को शिवसेना नेता के रूप में मान्यता दी है. शेवाले उन 12 सासंदों में शामिल हैं जो उद्धव को छोड़ शिंदे गुट से जुड़ चुके हैं. शेवाले को लोकसभा में शिवसेना की कमान मिलना उद्धव ठाकरे के लिए मुश्किल कैसे खड़ी कर सकता है.
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की मुश्किलें कुर्सी छिनने के बाद भी जारी हैं. पिछले दो दिन में उन्हें तीन तगड़े झटके लग चुके हैं. नए झटके में महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे ने जानकारी दी कि लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला ने शिवसेना के सांसद राहुल शेवाले को शिवसेना नेता के रूप में मान्यता दी है. उद्धव गुट के पांच सांसद एक दिन पहले ही लोकसभा अध्यक्ष ओम विडला को पत्र देकर राजन विचारे को लाेकसभा में पार्टी गुट का नेता बनाए जाने की मांग की थी. दूसरे दिन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की तरफ से पत्र देकर कहा गया कि उनके साथ पार्टी के दो तिहाई सांसद से अधिक की संख्या है इसलिए उनके गुट को लोकसभा में मान्यता मिलनी चाहिए. दोनों तरफ के पत्रों की पड़ता और कानूनी वैधता जांचने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने शिंदे गुट के राहुल शेवाले को पार्टी नेता और भावना गवली को मुख्य सचेतक की मान्यता दे दी.
ओम बिरला ने राहुल शेवाले को शिवसेना के नेता के रूप में मान्यता दी है. दरअसल, एकनाथ शिंदे गुट ने लोकसभा में दावा किया था कि उनके पास शिवसेना के 12 सांसदों का समर्थन है, जो उन्हें मान्यता देने के लिए काफी है. इसलिए शिंदे गुट की तरफ से राहुल शेवाले का नाम लोकसभा में शिवसेना के नेता के तौर पर रखने का अनुरोध किया था. जिसे ओम बिरला ने स्वीकार कर दिया है. यह एकनाथ शिंदे के लिए उद्धव ठाकरे पर बड़ी जीत के रूप में देखी जा रही है. महाराष्ट्र विधानसभा में शिंदे पहले ही उद्धव ठाकरे को पटखनी दे चुके हैं.
अब संसद में भी शिंदे गुट के सांसद को शिवसेना की कमान मिलना जाहिर करता है कि शिवसेना की कमान उद्धव के हाथ से खिसक कर पूरी तरह से शिंदे के हाथ में आ गई है. दोनों गुट के यही हालात रहे तो उनका चुनाव चिन्ह धनुष बाण भी या तो शिंदे गुट को मिल जाएगा नहीं तो सीज हो सकता है.