जल्द यौवन की दहलीज पर पहुंच रही लड़कियां/क्यों हो रहा हार्मोन परिवर्तन
6 से 9 वर्ष की आयु की लड़कियों में हार्मोनल परिवर्तन

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. कोरोना वायरस अपने साथ अनेक ऐसी बीमारियों को लेकर आया है जो कि आने वाले समय में बच्चों पर गंभीर असर दिखाई पड़ेगा. 6 से 9 साल की उम्र की लड़कियों के यौवन में तेजी से (Girls reaching the threshold of puberty early)होने वाले बदलाव इसका प्रमुख कारण बन कर उभरा है. मुंबई के प्रमुख चाइल्ड अस्पताल बाई जेरबाई वाडिया हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रन के अध्ययन में इस इस समस्या के समाधान के लिए एक पहल की है. अस्पताल प्रत्येक रविवार (24 जुलाई और 7 अगस्त, 2022) को सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक ओपीडी परिसर में नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया है जिसमें जांच के साथ उपचार भी किया जाएगा. हाल ही में कोरोना महामारी ने वयस्कों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर दी हैं. लड़कियों में मोटापे की दर खतरनाक दर से बढ़ रही है. कम आयु में ही लड़कियां यौवन की दहलीज पर पहुंचने लगी हैं. इसके अलावा हड्डियों और मांसपेशियों की वृद्धि, शरीर का आकार और प्रजनन क्षमता का विकास पहले (6 से 9 वर्ष की आयु) की तुलना में जल्द देखने को मिल रहा है. इसे असामयिक यौवन कहा जाता है. यह तब होता है जब लड़कियों के शरीर में समय से पहले यौवन परिवर्तन दिखाई देने लगते हैं. बीमारियों या केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की समस्याओं का कोई भी पारिवारिक इतिहास असामयिक यौवन का कारण बन सकता है. लड़कियों में मासिक धर्म, अंडकोष का विकास, स्तनों का समय से पहले बढ़ना और जांघों और बगल के बाल इसके लक्षण हैं. समय से पहले यौवन के कारण लड़कियों को समाज में शर्मिंदगी महसूस होती है, जो कम आत्मसम्मानऔर अवसाद की ओर ले जाती है. यह दीर्घकालिक प्रजनन स्वास्थ्य समस्याओं को प्रभावित करता है. वाडिया अस्पताल इस शिविर के माध्यम से 6 से 9 साल की उम्र की लड़कियों में होने वाले शारीरिक बदलाव और समस्याओं को जानने का प्रयास किया जाएगा. इस तरह के बदलावों के लिए हम लड़कियों की जांच करके और उन्हें परीक्षण और उपचार के रूप में संक्षिप्त जानकारी देकर उनका सही मार्गदर्शन करेंगे. बाई जेरबाई वाडिया अस्पताल में बाल चिकित्सा विभाग की प्रमुख डॉ. सुधा राव ने बताया कि समय से पहले यौवन के प्रकार और कारण के आधार पर उपचार भी किया जाएगा. वाडिया अस्पताल की सीईओ डॉ मिनी बोधनवाला ने बताया कि लड़कियों की मासिक पाली आने की औसत आयु 12 से 13 वर्ष है. लेकिन, कई लड़कियों में यौवन के लक्षण जल्द दिखाई देने लगता है. लड़कियों में प्रारंभिक यौवन अनुचित आहार और गतिविधि सहित कई बीमारियों के कारण हो सकता है. हमारा प्रयास माता-पिता और लड़कियों को अपने शरीर को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकते हैं. हमारा लक्ष्य बच्चों के कल्याण के लिए है. डॉ बोधनवाला ने कहा कि माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी बेटियां संतुलित आहार का पालन करें, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचें और रोजाना व्यायाम करें. लड़कियों को इन सामाजिक और भावनात्मक बाधाओं को दूर करने में मदद करना एक कठिन काम हो सकता है, क्योंकि यौवन कई वर्षों तक चलता है. माता-पिता को उन्हें सुरक्षित और आत्मविश्वासी बनाने में मदद करनी चाहिए. जल्द हार्मोनल परिवर्तन भविष्य में स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता है.
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