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देश की राजनीति में देवेंद्र फडणवीस का बढ़ता कद
राष्ट्रपति शपथग्रहण समारोह पहली कतार में मिला स्थान

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. भाजपा के वरिष्ठ नेता व महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnvis) का देश की राजनीति में कद बढ़ता जा रहा है. वे राज्य में एकमात्र भाजपा नेता के रूप में उभरे हैं जिन्हें राष्ट्रीय राजधानी के सेंट्रल हॉल में आज द्रौपदी मुर्मू का शपथ ग्रहण समारोह में अग्रिम पंक्ति में बैठने का मिला जिस पंक्ति में स्वयं प्रधानमंत्री सहित भाजपा के वरिष्ठ नेता बैठे थे.
पहली आदिवासी एवं देश की प्रथम नागरिक के रूप में द्रोपदी मुर्मू के शपथग्रहण समारोह में सभी क्षेत्रों के राजनीतिक नेता और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. उनमें से प्रमुख नेताओं में देवेंद्र फडणवीस थे.अग्रिम पंक्ति में बैठने की व्यवस्था से महाराष्ट्र में भाजपा के 52 वर्षीय नेता के बढ़ते राजनीतिक कद का संकेत देती है, जो अब एक लोकप्रिय राष्ट्रीय नेता है और पार्टी में एक ताकत है. देवेंद्र फडणवीस राज्य के सबसे बड़े नेता बनकर उभरे हैं.
महाराष्ट्र में जीत का श्रेय बने फडणवीस
महाराष्ट्र में बीजेपी की बड़ी जीत का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री को दिया जाता है. उन्होंने हाल ही में महाराष्ट्र में हुए राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों में भगवा पार्टी को बड़ी जीत दिलाई. राष्ट्रीय स्तर पर, फडणवीस बिहार और गोवा विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए एक संपत्ति साबित हुए, जहां वह पार्टी पर्यवेक्षक थे. इसके अलावा, उनके नेतृत्व में भगवा पार्टी का जमीनी स्तर पर भी ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों को लगातार जीतती रही है.
भाजपा विधायक राजहंस सिंह का कहना है कि देवेंद्र फडणवीस ने पहले दिन से ही भविष्यवाणी कर दी थी कि कांग्रेस, शिवसेना और राकांपा का अप्राकृतिक गठबंधन – जिसे महाविकास आघाड़ी कहा जाता है. लंबे समय तक नहीं चलेगा, राज्य का यह बेमेल गठबंधन गिर जाएगा. उनके शब्द ‘मै फिर आऊंगा’ (मी पुन्हा येईन) हाल ही में सच हुआ जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के विधायकों के साथ विद्रोह किया और महाविकास आघाड़ी सरकार धराशयी हो गई.
जैसा कि अपेक्षित था, सभी राजनीतिक पर्यवेक्षकों और पंडितों ने इस तख्तापलट के लिए देवेंद्र फडणवीस को श्रेय दिया और उन्हें फिर से सीएम उम्मीदवार के रूप में देखा. हालांकि, अपनी उम्मीदों के विपरीत, उन्होंने सरकार का हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में, वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, अर्थात् भाजपा प्रमुख जे. पी. नड्डा उनके अनुरोध पर ही उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार किया.