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आंख में आंसू चेहरे पर तनाव, शिवसेना नेता अर्जुन खोतकर ने ऐसे कहा ठाकरे को अलविदा
धीरे धीरे और मजबूत हो रहा शिंदे गुट का कुनबा

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. व्यक्ति के सामने ऐसी विषम स्थितियां आ जाती है जिसमें निर्णय लेने की आवश्यकता होती है. उन्हीं विषम परिस्थितियों के कारण मैं ( ShivSena Leader Arjun khotkar joined Shinde Faction) एकनाथ शिंदे का समर्थन कर रहा हूं. शिंदे समूह में शामिल होने से पहले मैंने पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को अपनी बात बताई है. इसलिए वे संतुष्ट हैं, आज मैं एकनाथ शिंदे के साथ हूं” आंख में आंसू चेहरे पर तनाव रुंधे गले से शिवसेना नेता अर्जुन खोतकर मीडिया से बात कर रहे थे.
जालना से शिवसेना नेता अर्जुन खोतकर ने आखिरकार एकनाथ शिंदे के गुट में शामिल होने की घोषणा कर दी. अर्जुन खोतकर ने प्रेस कांफ्रेंस में शिंदे गुट में जाने की वजह बताते हुए रो दिए.
खोतकर ने कहा कि मैं उन सभी स्थितियों को जानता हूं जो मेरे साथ हुई हैं. मैने शिवसेना पार्टी प्रमुख से बात की, संजय राउत से बात की. सभी से बात की. मैं एक सच्चा शिवसैनिक हूं. लेकिन जब आप घर आते हैं तो आप परिवार को देखते हैं. इसलिए कुछ निर्णय लेने की जरूरत पड़ती है. मैंने पार्टी प्रमुख से बात की थी उन्होंने मुझे बताया कि क्या बोलना है. इसलिए आज मैंने एकनाथ शिंदे को शिवसैनिकों के गवाह के रूप में समर्थन देने का फैसला किया है. मैं एकनाथ शिंदे का समर्थन कर रहा हूं. कुछ परिस्थितियों के कारण निर्णय लेना पड़ता है. यह बात हमने पार्टी के के संज्ञान में डाल दिया हूं. वे हमारी बात से संतुष्ट है, आज से मैं एकनाथ शिंदे के साथ हूं.
हमें अपने कार्यकर्ताओं को सुरक्षित रखना था. पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे हमारी बात समझ गए हैं. उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर आप मुसीबत में हैं तो आप कोई फैसला ले सकते हैं. इसलिए हमने फैसला किया कि हमें शिंदे के साथ जाना है. अर्जुन खोतकर को चार दिन पहले ही उद्धव ठाकरे ने शिवसेना उपनेता नियुक्त किया था. शिवसेना प्रमुख के बाद पार्टी का यह दूसरा सबसे बड़ा पद होता है. बगावत के बाद से कार्यकर्ता लगातार उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद शिंदे गुट का कुनबा लगातार बढ़ रहा है.
पहले 40 विधायक गए, फिर 12 सांसद और सेंकड़ों की संख्या में नगरसेवक, पार्टी के नेता शिंदे गुट में शामिल हो रहे हैं. यह सिलसिला अब भी जारी है. हर दिन कोई न कोई बड़ा नेता शिवसेना छोड़ शिंदे के साथ आ रहा है. अब तो बाला साहेब ठाकरे की बहू और पोते भी शिंदे के साथ मिल गए हैं. पुराने नेताओं से भी शिंदे मुलाकात कर रहे हैं. लीलाधर डाके, मनोहर जोशी से मुलाकात ने ठाकरे गुट को परेशानी में डाल दिया है.