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उद्धव ठाकरे – शिंदे गुट का फैसला आज

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच करेगा सुनवाई

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
दिल्ली.  शिवसेना में हुई बगावत और सरकार बनाने को लेकर दोनों तरफ से दायर की गई याचिकाओं की सुप्रीम कोर्ट में (ShivSena Uddhav Thackeray – Shinde faction’s decision today)
आज सुनवाई होगी. इस सुनवाई के बाद संभावना जताई जा रही है कि महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चल रहा विवाद सुलझ जाएगा. सभी का ध्यान इस बात पर होगा कि क्या अयोग्य ठहराए गए विधायकों और सांसदों का मामला संविधान पीठ को भेजा जाएगा.
  सुप्रीम कोर्ट में बहस होगी कि विधायकों और सांसदों को अयोग्य घोषित करने का अधिकार किसके पास है. चुनाव आयोग और विधानसभा, लोकसभा अध्यक्ष के अधिकार और क्या एकनाथ शिंदे समूह को वैधता मिलेगी क्योंकि मूल शिवसेना का भी इसी सुनवाई में फैसला होगा.
इस पर आएगा फैसला
– विधायकों, सांसदों को अयोग्य ठहराने का अधिकार किसे है?
– क्या अल्पमत विधायकों वाली पार्टी को समूह का नेता नियुक्त करने का अधिकार है?
– यदि मूल दल अल्पमत में है, तो क्या व्हिप का प्रयोग करने का अधिकार है…?
– क्या शिंदे समूह मूल पार्टी है?
– क्या शिंदे के पास नया समूह नहीं बनाने या पार्टी का विलय करने का विकल्प नहीं है?
 इस पर भी बहस होगी कि मामले को संविधान पीठ के पास भेजने की जरूरत है या नहीं
– विधायकों की अयोग्यता का मामला न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, इसका निर्णय विधानसभा अध्यक्ष करेंगे.
– चुनाव आयोग चुनाव चिन्ह और नाम पर फैसला करेगा.
– हमने सरकार नहीं गिराई, मुख्यमंत्री ने अपने दम पर दिया इस्तीफा
– विधायिका, संसद में संख्याबल हमारे पक्ष में है.
– सुनील प्रभु की व्हिप के रूप में नियुक्ति गलत.
– अल्पसंख्यक समूह व्हिप, ग्रुप लीडर नियुक्त नहीं कर सकता
– सर्वोच्च न्यायालय को बहुमत से चुनी गई सरकार को अमान्य करने का कोई अधिकार नहीं है. मामले को सुलझाया जाना चाहिए.
– संसद में समूह के नेताओं की नियुक्ति भी अवैध
– यदि समूह अलग हो जाता है, तो उसे किसी अन्य पार्टी के साथ विलय करना जरूरी है या नहीं.
– राज्यपाल के पास जनमत संग्रह का आदेश देने की शक्ति नहीं है?
– व्हिप के रूप में सुनील प्रभु की नियुक्ति वैध
– पार्टी के पास 1.6 लाख सदस्यों का हलफनामा है.
– चुनाव आयोग की सुनवाई स्थगित क्यों.
– इस मामले को विधानसभा अध्यक्ष पास भेजने की बजाय सुप्रीम कोर्ट को इस पर सुनवाई करनी चाहिए और फैसला देना चाहिए.
इन विषयों पर गहनता से विचार विमर्श कर विद्वान जज अपना फैसला देंगे.

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