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शिवसेना के निर्णय से कांग्रेस आगबबूला

महाविकास आघाड़ी दल ने पकड़ी अपनी अपनी राह

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. शिवसेना विभाजन के बाद कमजोर पड़ गई है. जो कमजोर होता है उसे सभी आंख दिखाते हैं. महाविकास आघाड़ी सरकार (MahavikasAghadi) के सत्ता से हटने के बाद भी कांग्रेस की नाराजगी बरकरार है. अब कांग्रेस विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति से आगबबूला हो गई है. (Congress furious with Shiv Sena’s decision) शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा उनसे परामर्श किए बिना अंबादास दानवे की नियुक्ति पर कांग्रेस नेताओं ने नाराजगी व्यक्त की.
 उद्धव ठाकरे एक बार फिर शिवसेना को मजबूत करने में लगे हैं. शिवसेना के बागी विधायकों के कारण रिक्त जगह को भरने का फैसला लिया गया है. उद्धव ठाकरे ने अंबादास दानवे को विधान परिषद में विपक्ष के नेता के रूप में नामित किया है. अंबादास दानवे के चुनाव से कांग्रेस खफा हो गई है.
  कांग्रेस ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि विधान परिषद में विपक्ष के नेता के चयन से पहले कांग्रेस पार्टी को विश्वास में नहीं लिया गया. उद्धव ठाकरे समूह ने कांग्रेस पार्टी से पूछा तक नहीं, इसलिए संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि शिवसेना महाविकास आघाड़ी में है भी या नहीं.
दिलचस्प बात यह है कि एकनाथ शिंदे गुट ने शिवसेना में बगावत के बाद भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई है. शिंदे दावा कर रहे हैं कि हम ही शिवसेना हैं. उद्धव ठाकरे समूह विधान परिषद में विपक्ष के नेता हैं. उद्धव ठाकरे के धड़े के अंबादास दानवे विधान परिषद में विपक्ष के नेता चुने गए हैं. इसलिए विधान परिषद में शिवसेना और शिंदे गुट के बीच मुकाबला खेला गया है.
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष नाना पाटोले ने शिंदे फडणवीस सरकार को ईडी की सरकार बता कर असंवैधानिक करार दिया है. पाटोले ने कहा कि यह सरकार मुंबई और महाराष्ट्र को खत्म करने आई है. यह सरकार महाराष्ट्र को लूट कर सूरत को देने का काम कर रही है. नाना पटोले ने कहा कि विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के पद पर कांग्रेस का अभी भी दावा है. कैबिनेट असंवैधानिक है. राज्यपाल कहते थे कि विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव का मामला कोर्ट में है. लेकिन इस सरकार के जाते ही उन्होंने बीजेपी की मदद के लिए एक्शन लिया. पटोले ने यह भी दावा किया कि जल्द ही एक बड़ा धमाका होगा.
विभाजन के बाद शिवसेना के मुखपत्र में पहली बार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की आलोचना की गई थी. संजय राउत की गिरफ्तारी के बाद शरद पवार की चुप्पी शिवसेना को चुभ गई. विधान परिषद में सबसे बड़ा विरोधी दल 12 सदस्य होने के कारण शिवसेना ने नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया है. यह कांग्रेस को नागवार लग रहा है. परिषद में 10 सदस्यों वाली कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष पद पर अपना दावा कर रही है. महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी टूट चुकी है और अब सभी अलग राह अपना चुके हैं.

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