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शिंदे सरकार ने पलटा मविआ का फैसला, बीएमसी वार्डों की संख्या रहेगी 227
आदित्य ठाकरे ने कहा, सरकार की तरह यह विधेयक भी असंवैधानिक

विधानसभा में मनपा वार्ड रचना सुधार विधेयक मंजूर
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. विगत एक वर्ष मनपा चुनाव वार्ड रचना कर सत्ता पाने का शिवसेना का दांव उल्टा पड़ गया है.(Shinde government reversed the decision of MVA, the number of BMC wards will be 227) विधानमंडल मानसून अधिवेशन में बुधवार को सुबह शिंदे-फडणवीस सरकार ने वार्ड रचना विधेयक को पलट दिया.
महाविकास आघाड़ी सरकार ने मुंबई में वार्डों की संख्या बढ़ाने के वार्ड रचना सुधार विधेयक लाकर मुंबई मनपा में वार्डों का परिसीमन कर वार्डों की संख्या 227 से बढ़ा कर 236 कर दिया था. सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार ने इस पर रोक लगा दिया था.
विधानसभा में मुंबई महापालिका वॉर्ड रचना सुधार लाया गया था जिसे मंजूर कर लिया गया.
इस विधेयक पर चर्चा के दौरान दोनों तरफ से एक दूसरे पर आरोप लगाए गए. इस विधेयक पर महाविकास आघाड़ी में भी बिखराव देखने को मिला.
भाजपा के साथ कांग्रेस एवं समाजवादी पार्टी के विधायकों ने समर्थन किया. वहीं शिवसेना उद्धव गुट और एनसीपी ने विधेयक का विरोध किया. विपक्ष की तरफ से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने पांच सप्ताह तक वार्डों की संरचना जैसे है उसी तरह रखने का आदेश दिया है.
सत्ता पक्ष के विधायकों ने आरोप लगाया था कि मनपा चुनाव जीतने के मकसद से वार्डों का पुनर्गठन किया गया है. सदा सरवणकर ने आरोप लगाया है दादर विधानसभा के महत्वपूर्ण क्षेत्र वर्ली विधानसभा में शामिल कर लिया गया. उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया कि शीर्ष अदालत ने अन्य मामले में निर्देश दिया है जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण से संबंधित है. उन्होंने कहा कि हमारा अध्यादेश वार्ड की संख्या 236 से वापस 227 करने के लिए है. इसमें कोई कानूनी बाधा नहीं है.
शिवसेना युवा नेता एवं पूर्व पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि इस सरकार की तरह ही यह विधेयक भी असंवैधानिक है.आदित्य ठाकरे के सरकार को असंवैधानिक कहने पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पलटवार करते हुए कहा कि लोकतंत्र में संख्या बल महत्वपूर्ण होता है. हमारे पास बहुमत है. हमने असंवैधानिक कार्य नहीं किया है. मुख्यमंत्री शिंदे ने विधायक सदा सरवणकर की इस मांग को भी स्वीकार कर लिया कि पूर्ववर्ती सरकार की तरफ से वार्डों की संख्या बढ़ाने के फैसले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से कराई जाएगी.