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ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा में बड़ी बगावत

चार दर्जन बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ी, ओमप्रकाश पर लगाए गंभीर आरोप

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) में बड़ी बगावत हुई है.(Big Rebellion in Omprakash Rajbhar’s Party SBSP)
पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के कार्यों से नाराज लगभग चार दर्जन बड़े नेताओं ने पार्टी को राम राम कर लिया है. इस बगावत के बाद सुभासपा पूरी तरह से बिखर गई है. इससे ओमप्रकाश राजभर को भी तगड़ा झटका लगा है.
उत्तर प्रदेश में ‘पियरका चचा’ के नाम से मशहूर ओमप्रकाश राजभर इस टूट के बाद अब अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं. सुभासपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर, प्रदेश महासचिव अर्जुन चौहान, प्रदेश उपाध्यक्ष डॉक्टर अवधेश राजभर सहित लगभग 40 से अधिक पदाधिकारियों ने  सुभासपा से किनारा कर लिया है.
सुभासपा से अलग होने वाले नेताओं ने ओमप्रकाश राजभर पर गंभीर आरोप लगाते हुए नई पार्टी बनाने का एलान किया है. नई पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र राजभर जबकि डॉक्टर बलिराम राजभर राष्ट्रीय महासचिव होंगे.
 बगावत कर अलग हुए नेताओं ने ओमप्रकाश राजभर पर भीड़ दिखाकर बड़ी पार्टियों से सौदेबाजी करने का आरोप लगाया है. सुभासपा कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया की जब भी चुनाव नजदीक आता है, ओमप्रकाश राजभर किसी न किसी राजनीतिक दल से सौदेबाजी करने लगते हैं तब उनको कोई भी पार्टी कार्यकर्ता याद नहीं आता है. पार्टी की नींव रखते समय ओमप्रकाश राजभर ने खुद बयान दिया था कि मैं आजीवन कोई भी चुनाव नहीं लड़ूंगा और ना ही अपने परिवार को लड़ने दूंगा.
पार्टी कार्यकर्ताओं का आरोप है की ओमप्रकाश राजभर सिर्फ अपने और अपने दोनों बेटों के लिए राजनीति करने लगे हैं जिस पार्टी में उनके और उनके बेटे का हित नहीं होता वह उस पार्टी पर कोई न कोई गंभीर आरोप लगाकर उससे गठबंधन तोड़ लेते हैं, ओमप्रकाश राजभर उस पार्टी पर असंसदीय शब्दों की बौछार करने लगते हैं. इसके बाद दूसरी पार्टी से सौदेबाजी शुरू कर देते हैं.
 सुभासपा कार्यकर्ताओं ने कहा की जब भी किसी बड़ी पार्टी से समझौते में उनको विधानसभा चुनाव की सीटें मिलती हैं तो कार्यकर्ताओं को तवज्जो ना देकर बाहरी धन पशुओं को टिकट दे दिया जाता है. कोई भी लाभ का पद सबसे पहले पार्टी के सुप्रीमो  ओमप्रकाश राजभर उसके बाद उनके पुत्रों एवं धन पशुओं को दिया जाता है. महेंद्र राजभर ने आरोप लगाया कि 2022 में हुए विधानसभा का चुनाव में  ओमप्रकाश राजभर ने अपने परिवार के अलावा किसी भी पार्टी कार्यकर्ता को चुनाव नहीं लड़ाया.

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