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उद्धव ठाकरे की पार्टी, चुनाव चिन्ह सब दांव पर
समय बीतने के साथ उद्धव गुट में बढ़ रही निराशा

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना विवाद की सुनवाई एक बार फिर टल गई. इस विवाद की सुनवाई अब 27 सितंबर को होगी. शीर्ष अदालत ने आश्वस्त किया है कि उसी दिन सभी लंबित मामलों का निर्माण कर आदेश भी आ जाएगा.(Uddhav Thackeray’s party, election symbol all at stake)
लेकिन जिस तरह से मामले की सुनवाई में विलंब हो रहा है ठाकरे गुट की निराश बढ़ती जा रही है. ठाकरे के अब तक निष्ठा प्रदर्शित कर रहे नेता उनका साथ छोड़ रहे हैं. पार्टी, चुनाव चिन्ह भी दांव पर लगा गया है.
लेकिन जिस तरह से मामले की सुनवाई में विलंब हो रहा है ठाकरे गुट की निराश बढ़ती जा रही है. ठाकरे के अब तक निष्ठा प्रदर्शित कर रहे नेता उनका साथ छोड़ रहे हैं. पार्टी, चुनाव चिन्ह भी दांव पर लगा गया है.
अब तक शिंदे गुट को लग रहा था कि चुनाव चिन्ह वे हासिल कर लेंगे लेकिन अब अप्रत्याशित रूप से चुनाव चिन्ह फ्रीज करने की मांग कर दी है. चुनाव चिन्ह फ्रीज करने की मांग कर शिंदे गुट कौनसा नया दांव खेला है इसका कयास लगाए जा रहे हैं. अब यह जानना भी दिलचस्प है कि शिंदे समूह ने अचानक धनुष-बाण चिन्ह को फ्रीज करने की मांग क्यों की.
इसके मुख्यत: तीन कारण है
शिवसेना विधायक रमेश लटके का निधन हो गया. इसलिए अंधेरी पूर्व निर्वाचन क्षेत्र का उपचुनाव कभी भी हो सकता है. चुनाव आयोग इस चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कभी भी कर सकता है.
शिवसेना इस सीट से दिवंगत रमेश लटके की पत्नी ॠतुजा लटके को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है. ऋतुजा लटके धनुष-बाण चुनाव चिन्ह पर लड़ने से उन्हें लाभ हो सकता है. इसके अलावा, सहानुभूति कारक है। ऐसे में शिंदे-भाजपा के लिए अपना उम्मीदवार चुनना आसान नहीं है. इसलिए शिंदे समूह इस चुनाव से पहले चुनाव आयोग के माध्यम से धनुष बाण चुनाव चिह्न हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं.
मुंबई समेत राज्य की प्रमुख नगर पालिकाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव की घोषणा हो चुकी है. शिवसेना के कई विधायक, सांसद, पार्षद और पदाधिकारी शिंदे समूह के साथ हैं. फिर भी, शिंदे गुट को तकनीकी रूप से शिवसेना के रूप में मान्यता नहीं मिली है. ऐसे समय में धनुष बाण चिन्ह बहुत निर्णायक भूमिका निभा सकता है. अगर शिंदे समूह का उम्मीदवार इस चिन्ह पर खड़ा होता है तो मतदाता भ्रमित हो सकते हैं. चूंकि धनुष शिवसेना के समान समीकरण है, मतदाता शिंदे गुट को वोट दे सकते हैं और उद्धव ठाकरे को कड़ी टक्कर मिल सकती है. इसलिए शिंदे समूह ने इस चिन्ह को फ्रीज करने की मांग की है.
शिवसेना का विवाद सुप्रीम कोर्ट में है. अब तक हुई सुनवाई में शिवसेना पर दावा करने के लिए उद्धव ठाकरे और शिंदे समूह ने जोरदार दलीलें दी हैं. अगर शिंदे समूह को शिवसेना का आधिकारिक चुनाव चिह्न मिल जाता है तो शिंदे समूह का शिवसेना पार्टी पर दावा और मजबूत हो जाएगा. इसके लिए शिवसेना भवन, शिवसेना शाखाएं, दशहरा सभा पर शिंदे गुट के विधायक दावा कर रहे हैं. शिवसेना पार्टी पर अपने आधिकारिक दावे के लिहाज से शिवसेना का चुनाव चिन्ह पर दावा सबसे अहम है. इसलिए शिंदे समूह धनुष बाण चिन्ह पर जोर दे रहा है. अगर हमें यह चिन्ह नहीं मिलता है, तो ठाकरे समूह को भी नहीं मिलना चाहिए और शिंदे समूह ने उच्चतम न्यायालय में इस कारण से चुनाव चिन्ह फ्रीज करने की मांग की है.
बेशक, सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग पर अभी कोई फैसला नहीं दिया है.लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि चुनाव आयोग 27 सितंबर तक इस पर कोई फैसला न दे. 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें 10 मिनट तक सुनी जाएंगी. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि चुनाव चिन्ह के बारे में फैसला किया जा सकता है.