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ट्रांस हार्बर लिंक परियोजना का 84 फीसदी काम पूरा, अगले वर्ष शुरू होने की उम्मीद

मुख्यमंत्री शिंदे ने किया परियोजना के प्रगति की समीक्षा

रायगढ़ जिले के चिरले क्षेत्र में बनेगा नया विकास केंद्र

 

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक परियोजना (84 percent work of Trans Harbor Link project completed, expected to start next year)का काम 84 फीसदी पूरा हो गया है. यह प्रोजेक्ट अगले साल दिसंबर से पहले पूरी तरह यातायात के लिए तैयार हो जाएगा. उसके माध्यम से रायगढ़ जिले के चिरले के पास पोयनाड, पेण में विकास केंद्र बनाया जाएगा. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आज यहां विश्वास व्यक्त किया कि लॉजिस्टिक्स पार्क, टाउनशिप और रोजगार सृजन तीन पहलुओं पर केंद्रित होगा और इसके माध्यम से क्षेत्र को योजनाबद्ध तरीके से विकसित किया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने शिवड़ी से शुरू हुई मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक परियोजना के कार्य का निरीक्षण किया. इस अवसर पर उन्होंने वास्तविक समुद्री पुल पर जाकर कार्य की समीक्षा की। इस मौके पर एमएमआरडीए कमिश्नर श्रीनिवास ने उन्हें काम की प्रगति के बारे में जानकारी दी.

एक लाख वाहनों की दैनिक आवाजाही क्षमता

मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, मुंबई को सीधे रायगढ़ जिले से जोड़ने वाला यह 22 किमी लंबा पहला समुद्री पुल देश में सबसे लंबा पुल है. इस समुद्री पुल की क्षमता प्रतिदिन कम से कम एक लाख वाहनों की है और इससे नागरिकों का काफी समय और ईंधन की बचत होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना प्रदूषण मुक्त है. उन्होंने कहा कि अपना काम करते समय पर्यावरण के साथ-साथ फ्लेमिंगो का भी ख्याल रखा गया है और पिछले साल की तुलना में इस साल अधिक फ्लेमिंगो आए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समुद्री पुल के कारण मुंबई से रायगढ़ जिले के चिरले तक की दूरी महज 15 से 20 मिनट में पार करना संभव होगा.

MTHL परियोजना पूर्वी फ्री वे को जोड़ेगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की सकल आय का अधिकतम हिस्सा मुंबई महानगरीय क्षेत्र से आता है और यह परियोजना इस क्षेत्र के नागरिकों के लिए फायदेमंद होगी, मुख्यमंत्री ने कहा कि मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक को मुंबई पुणे एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाएगा. यह परियोजना ईस्टर्न फ्रीवे से जुड़ जाएगी, इसलिए सीधे रायगढ़ की ओर यात्रा करना संभव होगा. साथ ही मुख्यमंत्री ने बताया कि शिवडी वर्ली कनेक्टर के माध्यम से मुंबई-वर्ली कोस्टल रोड को भी इस परियोजना से जोड़ा जाएगा.

ओएसडी जापानी तकनीक का पहला प्रयोग

इस परियोजना पर काम करते समय पहली बार ऑर्थोटोपिक स्टील डेस्क (ओएसडी) की जापानी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. इसका वजन कंक्रीट से कम है और यह तेजी से काम करने में मदद करता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना पर्यावरण के अनुकूल है और इसके माध्यम से प्रति वर्ष लगभग 26 हजार टन कार्बन डाइऑक्साइड की कमी होगी और इस परियोजना का काम 3 पैकेज के माध्यम से चल रहा है.

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