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पांचवें दिन यानी आज करें स्कंदमाता की पूजा

ज्योतिषाचार्य पं अतुल शास्त्री से जानिए मां स्कंदमाता की महिमा

वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

 सिंहरूढ़ा चतुर्भुज स्कन्दमाता यशस्विनीम

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. नवरात्रि के पांचवें दिन यानी आज माता (Worship of Skandmata) स्कंदमाता की पूजा की जाती है. देवी के इस रूप के नाम का अर्थ, स्कंद मतलब भगवान कार्तिकेय/मुरुगन और माता मतलब माता है, अतः इनके नाम का मतलब स्कंद की माता है. नवदुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता का है. माता को हरा रंग पसंद है.
   माता स्कंदमाता का स्वरूप
माँ स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. देवी दो हाथों में कमल, एक हाथ में कार्तिकेय और एक हाथ से अभय मुद्रा धारण की हुईं हैं. कमल पर विराजमान होने के कारण देवी का एक नाम पद्मासना भी है. माता की पूजा से भक्तों को सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. देवी की सच्चे मन से पूजा करने पर मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. देवी के इस रूप को अग्नि देवी के रूप में भी पूजा जाता है. जैसा की माँ ममता की प्रतीक हैं, इसलिए वे भक्तों को प्रेम से आशीर्वाद देती हैं.
पौराणिक मान्यताएं 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तारकासुर नामक एक राक्षस था जो ब्रह्मदेव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप करता था. एक दिन भगवान उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसके सामने प्रकट हो गए. तब उसने उसने अजर-अमर होने का वरदान मांगा. ब्रह्मा जी ने उसे समझाया की इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया है उसे मरना ही है. फिर उसने सोचा कि शिव जी तपस्वी हैं, इसलिए वे कभी विवाह नहीं करेंगे. अतः यह सोचकर उसने भगवान से वरदान मांगा कि वह शिव के पुत्र द्वारा ही मारा जाए. ब्रह्मा जी उसकी बात से सहमत हो गए और तथास्तु कहकर चले गए. उसके बाद उसने पूरी दुनिया में को तहस- नहस करना शुरू कर दिया और लोगों को मारने लगा.

उसके अत्याचार से तंग होकर देवतागण शिव जी के पास पहुंचे और विवाह करने का अनुरोध किया. तब उन्होंने देवी पार्वती से विवाह किया और कार्तिकेय के पिता बनें.जब भगवान कार्तिकेय बड़े हुए, तब उन्होंने तारकासुर दानव का वध किया और लोगों को बचाया.

ज्योतिषीय विश्लेषण
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं.

मंत्र
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥

प्रार्थना मंत्र

सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

स्तुति
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

 

स्त्रोत
नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागरम् पारपारगहराम्॥

♦ज्योतिष सेवा केन्द्र

ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री

09594318403/09820819501
email.panditatulshastri@gmail.com
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