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अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट पर शिंदे गुट का सरेंडर

उपचुनाव में भाजपा का समर्थन करने को मजबूर

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
ShivSena मुंबई. शिवसेना विधायक रमेश लटके के निधन से खाली हुई (Shinde faction surrenders in Andheri East assembly seat) अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट पर उपचुनाव का एलान हो गया है. शिवसेना ने रमेश लटके की पत्नी को टिकट दिया है. शिवसेना में बगावत के बाद यह पहला उपचुनाव में भाजपा को सौंपी सीट है जिसमें शिवसेना के उद्धव और शिंदे गुट के आमने सामने की लडाई में उतरने की संभावना थी. लेकिन अब शिंदे गुट पीछे हटते हुए यह सीट भाजपा को सौंपती दिख रही है. एक तरफ महाविकास आघाड़ी के तीन दलों में शिवसेना उम्मीदवार को एनसीपी का समर्थन मिला है जबकि कांग्रेस ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. दूसरी तरफ भाजपा और शिंदे गुट एक साथ चुनाव लड़ने जा रहा है.
वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना-भाजपा गठबंधन में चुनाव लड़ा था.यह सीट शिवसेना के खाते में थी. भाजपा के पूर्व पार्षद मूरजी पटेल  निर्दलीय चुनाव में उतरे थे. जाति प्रमाणपत्र के कारण मूरजी पटेल का नगरसेवक पद रद्द हो गया था.
उपचुनाव में संभावना थी कि शिवसेना विधायक कारण शिंदे समूह भी इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारेगा लेकिन उसके सामने कई पेंच फंसे हैं. पहली बात तो यह कि शिवसेना से अलग होने के बाद उनके सामने चुनाव चिन्ह की समस्या है. धनुष बाण पर शिंदे गुट ने भी दावा किया है. यह मामला चुनाव आयोग के समक्ष लंबित है. उपचुनाव तक इसका फैसला संभव होता नहीं प्रतीत हो रहा है. इसलिए शिंदे गुट यह सीट भाजपा के लिए छोड़ने को तैयार हो गया है. निर्दलीय चुनाव में उतरे मूरजी पटेल ने भाजपा – शिवसेना युति के उम्मीदवार रमेश लटके को कड़ी टक्कर दी थी. मूरजी पटेल 45,808 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे. रमेश लटके ने उन्हें 16,965 मतों से हराया था.
 रमेश लटके के निधन के बाद  इस निर्वाचन क्षेत्र में
शिवसेना के पास उनके जैसा कोई दूसरा प्रभावी चेहरा नहीं था. ऐसे में उद्धव ठाकरे को दुविधा का सामना करना पड़ा. शिवसेना ने रमेश लटके की पत्नी ॠतुजा  को  उम्मीदवारी का ऐलान कर दिया है. उद्धव गुट को उम्मीद है कि सहानुभूति की लहर के कारण उसे यह सीट मिल सकती है. हालांकि अब मूरजी पटेल भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार हैं.उन्हें शिंदे गुट का भी समर्थन मिलेगा. अब देखना है कि पटेल 16 हजार वोटों के अंतर को पार कर सकते हैं या सहानुभूति लहर पाकर ॠतुजा की जीत होती है.
यह सीट पर अपना दावा दावा छोड़ने के पीछे शिंदे गुट का तर्क है कि वे निर्दलीय के तौर पर चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं, उनके पास कोई पार्टी चिन्ह नहीं है. इसलिए, शिंदे गुट, जो इस बात पर जोर देता है कि ‘हम असली शिवसेना हैं’ के पास भाजपा के मूरजी पटेल का समर्थन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
 अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 14 अक्टूबर है. उस समय तक, शिवसेना के पार्टी चिन्ह के बारे में केंद्रीय चुनाव आयोग के निर्णय की बहुत कम संभावना है. फिलहाल शिंदे समूह द्वारा शिवसेना पार्टी पर दावा किया जा रहा है, लेकिन उन्होंने आधिकारिक तौर पर पार्टी पर नियंत्रण नहीं किया है. आज भी उद्धव ठाकरे के पास शिवसेना पार्टी का आधिकारिक एबी फॉर्म जारी करने का अधिकार है. जब तक चुनाव चिन्ह को लेकर फैसला नहीं आता है शिंदे गुट को चुनाव में सरेंडर करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता है.

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