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ज्ञानवापी मामले में वाराणसी अदालत का बड़ा फैसला/ कार्बन डेटिंग की इजाजत नहीं

वजूखाने में मिले शिवलिंग की नहीं होगी कार्बन डेटिंग

वाराणसी. वाराणसी (Varansi)की अदालत ने आज  ज्ञानवापी मस्जिद (shringar gauri gyanvapi case Court order for carbon dating ) का कार्बन डेटिंग नहीं करने का फैसला सुनाया है. वजूखाने के अंदर मिली संरचना की कार्बन डेटिंग की मांग करने वाली हिंदू पक्ष की याचिका के विरोध में यह फैसला आया है. जिला जज ए के विश्वेश ने वजूखाने में मिले शिवलिंग का कार्बन डेटिंग नहीं कराने का आदेश दिया है. इससे निर्णय पर हिंदू पक्ष में निराश जताई है वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह फैसला शीर्ष अदालत के निर्देश के खिलाफ दिया गया है. हिंदू पक्ष ने ‘शिवलिंग’ होने का दावा किया गया था. फैसले से पहले कोर्ट में केवल 58 लोगों के प्रवेश की अनुमति दी गई थी. कोर्ट के भीतर मीडिया को जाने की अनुमति नहीं दी गई.  कोर्ट परिसर के पास भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी.
पांच हिंदू याचिकाकर्ताओं में से चार ने वाराणसी की स्थानीय अदालत द्वारा आदेशित वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पाए गए ‘शिवलिंग’ की कार्बन-डेटिंग की मांग की है. कार्बन डेटिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर पुरातत्व में किसी वस्तु की उम्र को समझने के लिए किया जाता है. ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने कार्बन डेटिंग की याचिका का विरोध किया है.
वाराणसी की अदालत ने मामले के संबंध में पहले मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनी थीं. हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु जैन ने कहा, “मुस्लिम पक्ष ने कहा कि शिवलिंग सूट संपत्ति का हिस्सा नहीं है और इसकी कार्बन डेटिंग नहीं की जा सकती है. हमने इन दोनों बिंदुओं पर अपना स्पष्टीकरण दिया था अब अदालत ने अपना फैसला सुनाएगा .
 मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अखलाक अहमद ने कहा कि हिंदू पक्ष की दलील विचारणीय नहीं है क्योंकि यह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ है जिसमें संरचना की रक्षा करने  (जिसे मुस्लिम पक्ष एक फव्वारा होने का दावा करता है और हिंदू पक्ष शिवलिंग होने का दावा करता है) के लिए कहा गया था.
अहमद ने कहा कि हमने कार्बन डेटिंग पर आवेदन का जवाब दिया. स्टोन में कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने 17 मई के आदेश में, जिसके अनुसार, आयोग द्वारा पाई गई वस्तु को संरक्षित किया जाना था. हिंदू पक्ष के अनुसार, प्रक्रिया वैज्ञानिक होगी, यदि ऐसा है, तो भी वस्तु के साथ छेड़छाड़ होगी. परीक्षण के लिए रसायनों का उपयोग किया जाएगा.
 मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अन्य वकील तोहिद खान ने कहा, “अदालत अपना फैसला सुनाएगी कि कार्बन डेटिंग की मांग करने वाला आवेदन स्वीकार्य है या खारिज कर दिया जाना चाहिए. संरचना एक फव्वारा है और शिवलिंग नहीं है. फव्वारे को अभी भी चालू किया जा सकता है. अदालत  दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद 29 सितंबर को अपना आदेश सुरक्षित कर दिया था. हिंदू पक्ष का कहना है कि वजूखाना में पाया गया शिवलिंग है जबकि मुस्लिम पक्ष में उसे फव्वारे का स्ट्रक्चर बताया था.

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