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दीपावली पर ऐसे करें, लक्ष्मी पूजन विधि, मंत्र , आरती सहित 

जानिए, क्या क्या लगती है पूजन सामग्री

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. कार्तिक महीने की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है. (Know this on Deepawali, Lakshmi worship method with mantra)  इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें तो इस दिन भगवान श्रीराम 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या नगरी वापस लौटे थे. व्यापारी लोग इस दिन को नये साल के आरंभ के तौर पर मनाते हैं. कई लोग तो पूरी रात विशेष लक्ष्मी पूजा करते हैं. माना जाता है कि इस दिन अगर सही ढंग से पूजा हो जाए और मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाएं तो घर में पैसों की बारिश होने लगती है. दिवाली पूजा सांयकाल शुभ मुहूर्त में की जाती है. पूजा मंदिर में गणेश, मां लक्ष्मी, कुबेर और नवग्रहों की प्रतिमाएं या फोटो रखे जाते हैं. लक्ष्मी मां की प्रतिमा गणेश जी के दाहिने में रखी जाती है.

पूजन सामग्री

चावल, कुमकुम, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, अष्टगंध, गुलाब के फूल, प्रसाद के लिए फल, दूध, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, शक्कर, पान, दक्षिणा में से जो भी हो, लक्ष्मी पूजन की सरल विधि किसी भी कार्य या पूजन को शुरु करने से पहिले श्री गणेश का स्मरण करें, देव मूर्ति के स्नान के लिए तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, जल का कलश, दूध, देव मूर्ति को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र व आभूषण,

दीपावली पूजन विधि

सर्वप्रथम पूजा के स्थान को स्वच्छ करें.

• अब उस स्थान पर आते और हल्दी से चौक पूरें.

• तत्पश्चात एक लकड़ी की चौकी उस चौक पर रखें.

• अब माता श्री लक्ष्मी, सरस्वती जी तथा गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमाएं अथवा चित्र विराजमान करें.

तदोपरांत पूजन के जलपात्र से जल लेकर निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए सभी प्रतिमाओं पर छिड़कें.

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।

यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याभंतरः शुचि: ।।

• साथ ही अपने पूजा के आसन को भी इसी मन्त्र का उच्चारण करते हुए जल छिड़ककर स्वच्छ करें.

•अब पृथ्वी माता को प्रणाम करके निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए आसन ग्रहण करें.

पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥

ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता। त्वं च धारय मां, देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥ पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः

तत्पश्चात ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः का उच्चारण करते हुए गंगाजल का आचमन करें.

• इस पूरी प्रक्रिया के बाद मन को शांत कर आंखें बंद करें तथा मां को मन ही मन प्रणाम करें.

इसके बाद हाथ में जल लेकर पूजा का संकल्प करें. संकल्प के लिए हाथ में अक्षत (चावल), पुष्प और जल ले लीजिए. साथ में एक रूपए (या यथासंभव धन) का सिक्का भी ले लें. इन सब को हाथ में लेकर संकल्प करें कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर मां लक्ष्मी, सरस्वती तथा गणेशजी की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों.

इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए.

ऊं गणानां त्वा गणपति (गुं)हवामहे

प्रियाणां त्वां प्रियपति (गुं) हवामहे

निधीनां त्वां निधिपति (गुं)हवामहे व्वसो मम्

आहमजानि गर्भधमात्व मजासि गर्भधम्

ऊं अंबे अंबालिकेअंबालिके न मा नयति कश्चन

• तत्पश्चात कलश पूजन करें फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए.

• हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए .

अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकुमाक्ताः सुशोभिताः ।

मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरि ॥

ॐ महालक्ष्म्यै नमः | अक्षतान समर्पयामि ||

इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है.

  • . रक्तचन्दनसम्मिश्रं पारिजातसमुद्भवम् ।
  • मया दत्तं महालक्ष्मि चन्दनं प्रतिगृह्यताम् ||
  • ॐ महालक्ष्म्यै नमः रक्तचन्दनं समर्पयामि |

• इन सभी के पूजन के बाद 6 मातृकाओं को गंध, अक्षत व पुष्प प्रदान करते हुए पूजन करें.

क्षीरसागरसम्भते दूर्वां स्वीकुरू सर्वदा ||

ॐ महालक्ष्म्यै नमः दूर्वां समर्पयामि ।

●पूरी प्रक्रिया मौलि लेकर गणपति, माता लक्ष्मी व सरस्वती को अर्पण कर और स्वयं के हाथ पर भी बंधवा लें.

• अब सभी देवी-देवताओं के तिलक लगाकर स्वयं को भी तिलक लगाएं.

इसके बाद मां महालक्ष्मी की पूजा आरंभ करें.

माता लक्ष्मी का आवाहन करें.

माता लक्ष्मी को अपने अपने घर में सम्मान सहित स्थान देें.

अब माता लक्ष्मी को स्नान कराएं.

स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और वापिस जल से स्नान कराएं.
अब माता लक्ष्मी को वस्त्र अर्पित करें

वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं अब पुष्पमाला पहनाएं.अब कुमकुम तिलक करें. अब धूप व दीप अर्पित करें. फल मिष्ठान अर्पित करें. माता लक्ष्मी को गुलाब के फूल विशेष प्रिय है.

. घी या तेल का दीपक लगाएं.

महालक्ष्मी पूजन के दौरन ’’ऊँ महालक्ष्मयै नमः’’इस मंत्र का जप करें

ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् ।

चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ।।

• अब देवी लक्ष्मी, गणेश जी व देवी सरस्वती जी का पूजन करें.

ॐ तां म आ व ह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ।

उनके समक्ष सात, ग्यारह अथवा इक्कीस की संख्या में दीप प्रज्वलित करें.

• माता श्री लक्ष्मी को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें.

ॐ कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।

पद्मेस्थितां पदमवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।

ॐ चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्ती श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।

तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे

• अब श्री सूक्त, लक्ष्मीसूक्त तथा कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें. तदोपरांत धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करके आरती करें.

लक्ष्मी जी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुमको निसदिन सेवत हर-विष्णु-धाता ॥ॐ जय…

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ॐ जय…

तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता ।

जोकोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥ॐ जय…

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ॐ जय…

जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता ।

सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ॐ जय…

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता ।

खान-पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ॐ जय…

शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।

रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥ॐ जय…

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता ।

उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता ॥ॐ जय…

आरती करके जल छोड़ें एवं स्वयं आरती लें, पूजा में सम्मिलित सभी लोगों को आरती दें फिर हाथ धो लें।)

• इस प्रकार आपका पूजन संपन्न होता है.

• पूजन संपन्न होने पर क्षमा प्राथना करें.

जिस मूर्ति में माता लक्ष्मी की पूजा की जानी है। उसे अपने पूजा घर में स्थान दें.

लक्ष्मी माता को छोड़कर सभी देवताओं को अपने धाम जाने के लिए कहें. त्रुटी या भूल के लिए क्षमा मांगे. इति।।

 

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