गाजर से 4 गुना ज्यादा विटामिन “ए”, संतरे से 7 गुना विटामिन “सी, पालक से 3 गुना आयरन, दूध से 4 गुना कैल्शियम
92 पोषक तत्वों से भरपूर इस जादुई पौधे का नहीं कोई जोड़

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
रायपुर: गाजर से 4 गुना ज्यादा विटामिन “ए”, संतरे से 7 गुना विटामिन “सी, पालक से 3 गुना आयरन, दूध से 4 गुना कैल्शियम यही नहीं है इस जादुई पौधे में 92 प्रकार के पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इस पौधे में इतनी खूबियां होने के बाद भी लोग इसका सेवन करने से कतराते हैं. (There is no comparison to this magical plant moringa rich in 92 nutrients)
छत्तीसगढ़ के रानी अवंतीबाई लोधी कृषि विश्व विद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र छुईखदान में कार्यरत कृषि वैज्ञानिक एवं प्रोफेसर डॉ बीएस असाटी द्वारा सहिजन (मोरिंगा) पर पिछले 12 वर्षों तक अनुसंधान किया है. डॉ असाटी मुंबई के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के साथ मिलकर सहिजन से विभिन्न मूल्य-वर्धित उत्पाद तैयार कर रहे हैं.
डॉ असाटी ने बताया कि सहिजन के विभिन्न उत्पाद जिसमें सहिजन पावडर, सहिजन फ्लेक्स, सहिजन कुकीज़, सहिजन ब्रेड, सहिजन टोस्ट, सहिजन चाय, सहिजन चॉकलेट, सहिजन स्नेक्स, सहिजन मफिन, सहिजन मसाला मिक्स, सहिजन सूप, सहिजन लड्डू, सहिजन काजू कतली, सहिजन खारी, सहिजन सेव तैयार किए जा रहे हैं. महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या के निदान के लिए प्रारंभिक स्तर पर डॉ. असाटी ने रेडी टू कूक पुलाव एवं रेडी टू इट पोहा तैयार किए है.
ब्राजील में 8 से 11 नंबर के बीच आयोजित तृतीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ असाटी ने अपने दो शोध पत्र प्रस्तुत किए. उन्होंने छत्तीसगढ़ की प्रथम फोर्टिफाइड मोरिंगा हर्बल चाय को विकसित कर उसका प्रदर्शन किया.
डॉ.असाटी ने बताया की मोरिंगा की पत्तियों में पाये जाने वाले क्वेरसेटिन, और क्लोरोजेनिक एसिड से ब्लड मे शकर्रा को नियंत्रित किया जा सकता है। यह चाय इंसुलिन को कंट्रोल करने में बहुत प्रभावशाली है. इसमें फिनॉल कंटेंट, एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनॉ

सहिजन को कहा जाता है जादुई पौधा
सहिजन, मुनगा और मोरिंगा के नाम से जाने जाने वाला इस पौधे प्रत्येक भाग तना, पत्ती, जड़, फल, फूल सभी उपयोग में लाया जाता है. सहिजन में गाजर से 4 गुना ज्यादा विटामिन “ए”, संतरे से 7 गुना विटामिन “सी, पालक से 3 गुना आयरन, दूध से 4 गुना कैल्शियम, केला से 3 गुना पोटेशियम एवं बादाम से 3 गुना विटामिन “ई” पाया जाता है. मानव शरीर में होने वाली छोटी-बड़ी 300 से अधिक बीमारियों जिसके अंतर्गत प्रमुख बीमारी जैसे मधुमेह, कैंसर, हड्डियों का दर्द, किडनी की समस्या, लीवर की समस्या, मूत्र विकार के निदान में सहायक है. शोध में पाया कि सुपोषण के लिए सहिजन की पत्ती या पावडर को 4 से 5 ग्राम प्रतिदिन वयस्क के लिए एवं बच्चों के लिए 1 से 2 ग्राम प्रतिदिन उपयोग करना चाहिए। सहिजन की पत्तियों में पोषक तत्वों की अधिकता होने के कारण कुपोषण निदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
दूसरे देश ले रहे तकनीकी ज्ञान
विश्वविद्यालय के माध्यम से सहिजन उत्पादन की उन्नत तकनीक एवं सहिजन के उत्पादों के संबंध में अन्य देश जैसे अमेरिका, नेपाल, श्रीलंका, बंगलादेश के व्यवसायी लोग भी तकनीकी ज्ञान ले रहे है.
डॉ असाटी ने बताया कि मुंबई के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के साथ हमारे विश्वविद्यालय का एमओयू हुआ है. म्युटेशन स्टडी और रेडियेशन पर रिसर्च में हमें सहयोग करते हैं. इस न्यूक्लियर स्टडी से हमें खाद्य पदार्थों को हानिरहित और लंबे समय तक बनाए रखने में बहुत सहयोग मिलता है.




